नवरात्री के पहले दिन में क्या है खास

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आज महालय अमावस्या या सर्वपितृमोक्ष अमावस्या के साथ ही ,14 दिन तक चलने वाला पितृ पक्ष समाप्त हो गया, अमावस्या के अगले दिन शुक्ल प्रतिपदा को नवरात्रि शुरू हो रही हैं, 10 अक्टूबर को नवरात्रि का पहला दिन होगा, नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। मां दुर्गा को समर्पित इस पर्व की खुशी में लोग अपनों को शुभकामना संदेश भेजते हैं|

 

 

इस बार चित्रा नक्षत्र में मां भगवती का नाव से आगमन होगा, पहली बार नवरात्र की घट स्थापना के लिए काफी कम समय मिल रहा है ,यदि परसों प्रतिपदा के दिन ही घट स्थापना करनी है , तो आपको केवल एक घंटा दो मिनट मिलेंगे, सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी, पिछले नवरात्र पर घट स्थापना के लिए मुहूर्त काफी थे , लेकिन कम समय के लिए प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है।
चित्रा नक्षत्र में शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ होगा, पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्टूबर को है, दूसरी तिथि का क्षय माना गया है, अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी , इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है, 13 और 14 अक्टूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी, पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है।

मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है, 7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा |

नवरात्र की तिथियां –
प्रतिपदा / द्वितीया – 10 अक्तूबर – माँ शैलपुत्री माँ ब्रह्मचारिणी
तृतीया – 11 अक्तूबर – माँ चन्द्रघण्टा
चतुर्थी – 12 अक्तूबर – माँ कुष्मांडा
पंचमी – 13 अक्टूबर – माँ स्कंदमाता
पंचमी – 14 अक्तूबर – माँ स्कंदमाता
षष्टी – 15 अक्तूबर – माँ कात्यायनी
सप्तमी – 16 अक्तूबर – माँ कालरात्रि
अष्टमी – 17 अक्तूबर – माँ महागौरी (दुर्गा अष्टमी)
नवमी – 18 अक्तूबर – माँ सिद्धिदात्री (महानवमी)
दशमी- 19 अक्तूबर- विजय दशमी (दशहरा)

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कैसे करें घटस्थापना?

1. घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए.

2. नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें.

3. इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं.

4. इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें.

5. इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें.

6. दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें.

7. तत्पश्चात देवी मंत्र का जाप करें.

8. अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें.

9. इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें.

10. अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें.

बहुत फलदायी है इस बार की नवरात्रि, ऐसे करें पूजा और कलश स्थापना

 

नवरात्रि का महत्व-

हिन्दू धर्म में किसी शुभ कार्य को शुरू करने और पूजा उपासना के दृष्टि से नवरात्रि का बहुत महत्व है, एक वर्ष में कुल चार नवरात्र आते हैं, चैत्र और आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक पड़ने वाले नवरात्र काफी लोकप्रिय हैं ,और इन्हीं को मनाया जाता है, इसके अलावा आषाढ़ और माघ महीने में गुप्त नवरात्रि आते हैं ,जो कि तंत्र साधना करने वाले लोग मनाते हैं, लेकिन सिद्धि साधना के लिए शारदीय नवरात्रि विशेष उपयुक्त माना जाता है, इन नौ दिनों में बहुत से लोग गृह प्रवेश करते हैं, नई गाड़ी खरीदते हैं साथ ही विवाह आदि के लिए भी लोग प्रयास करते हैं, क्योंकि मान्यता है कि नवरात्रि के दिन इतने शुभ होते हैं, इस दौरान कोई भी शुभ कार्य करने के लिए लग्न व मुहूर्त देखने की आवश्यकता नहीं होती।