अहमदाबाद/वडोदरा :- गुजरात में उत्तर भारतीयों पर हमले और पलायन के मामले को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गंभीरता से लिया है। मासूम से रेप के बाद उत्तर भारतीयों खासतौर से बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों पर हमले के मामले को ठीक तरह से हैंडल न कर पाने को लेकर दोनों ही नेता गुजरात के मुख्यमंत्री से नाराज हैं। बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी प्रेजिडेंट शाह ने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल को कथिततौर पर फटकार लगाई है। दोनों नेता गुजरात से आते हैं और ऐसे में यह उनकी भी प्रतिष्ठा का सवाल है।
रविवार को देर रात आणंद के पास ‘बाल अमूल’ प्लांट में आठ संविदात्मक (ठेके) श्रमिकों पर कथित रूप से हमला किया गया। गुजरात में स्थिति में बिगड़ने के साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार के मुख्यमंत्रियों ने सोमवार को चिंता जताई है और गुजरात सीएम विजय रूपाणी से बात की। रूपाणी ने आश्वासन दिया है कि इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सरकार व प्रशासन प्रतिबद्ध हैं।
दरअसल, गुजरात के साबरकांठा जिले में 28 सितंबर को 14 वर्षीय बालिका के साथ दुष्कर्म के मामले में एक बिहारी युवक को गिरफ्तार किया गया था। इसमें कोई संदेह नहीं कि गुनाहगार को उसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि एक व्यक्ति के अपराध के लिए पूरे समाज अथवा समुदाय को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है? कैसे उन्हें अपनी रोजी-रोटी और रोजगार से बेदखल किया जा सकता है? इस बात की क्या गारंटी है कि प्रतिहिंसा में बिहार और उत्तर प्रदेश में रह रहे गुजरातियों को निशाना नहीं बनाया जाएगा?
50 हजार से ज्यादा लोग छोड़ चुके हैं गुजरात : बिहारी और उत्तर भारतीयों को गुजरात के लोगों ने धमकी दी है कि यदि 10 अक्टूबर तक उन्होंने गुजरात नहीं छोड़ा तो उनके हाथ-पैर काट दिए जाएंगे। इस धमकी के बाद अब तक 50 हजार लोग गुजरात से कूच कर गए हैं। गुजरात में कोई 5 साल से नौकरी कर रहा था तो कोई 15 साल से, लेकिन धमकी के बाद ये लोग अपनी जान की खातिर वहां से रवाना हो रहे हैं। उन्होंने अपने पूरे जीवन में गुजरात में ऐसा माहौल नहीं देखा, जो अब देखने को मिल रहा है।
मेहसाणा में 200 परिवारों के घर खाली : स्थानीय लोगों की धमकी के कारण बिहार और उत्तर भारत के रहने वाले 200 परिवारों ने मेहसाणा में अपने घर खाली कर दिए हैं और वे अपने अपने गृहनगर लौट गए हैं। ये सभी लोग बहुत डरे और सहमे हुए थे। इन सभी का एक ही कहना था कि क्या बिहारी होना सबसे बड़ा गुनाह है? हालांकि पुलिस सभी प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षा देने का आश्वासन दे रही है, लेकिन इसका कोई असर उन पर नहीं पड़ रहा है।
हमले को लेकर राजनीति गरमाई : गुजरात में बिहारियों पर कहर टूटने के बाद राजनीति भी गरमा गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का आरोप है कि गुजरात में हो रही हिंसा की जड़ वहां के बंद पड़े कारखाने और बेरोजगारी है। व्यवस्था और अर्थव्यवस्था दोनों चरमरा रही हैं।
खामियाजा भुगतेगा गुजरात : कुछ असामाजिक तत्व जो गुजरात को आग में झोंकने का प्रयास कर रहे हैं, उनकी ये नादानी पूरे गुजरात पर भारी पड़ सकती है। गुजारात चैंबर ऑफ कॉमर्स इसकी चिंता भी जता चुका है। बिहार के रहने वाले नौकरी-पेशा से लेकर हुनरमंद और छोटे धन्धे यानी मजदूर, पानीपुरी (गोल गप्पे), कलर आदि का काम करने वालों को जब गुजरात से खदेड़ा जाएगा तो इसका व्यापक असर पूरे प्रदेश पर पड़ेगा।