नवरात्रि के दिनों के समय लहसुन प्याज का इस्तेमाल वर्जित माना गया है, नवरात्र में शराब-सिगरेट, मांसाहार का भी सेवन करने की मनाही है, लेकिन क्या आपको पता है ,कि नवरात्र में लहसुन और प्याज खाने के लिए क्यों मना किया गया है |
नवरात्र में लोग घरों में लहसुन-प्याज क्यों खाना बंद कर देते हैं, आइए जानते हैं…
शास्त्रों के मुताबिक, खाना तीन तरह का होता है, पहला तामसिक, दूसरा राजसिक और तीसरा सात्विक |
सात्विक भोजन-
सात्विक भोजन को सबसे शुद्ध माना जाता है, और इस भोजन को ही शरीर के लिए सेहतमंद भी कहा गया है, सात्विक भोजन वह है जो शरीर को शुद्ध करता है, और मन को शांति प्रदान करता है, पकाया हुआ भोजन यदि 3-4 घंटे के भीतर सेवन किया जाता है, तो इसे सात्विक माना जाता है , इसमें ताजे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, बादाम आदि, अनाज और ताजा दूध. फलों का रस, आम सब्जियां, बिना ज्यादा तेल मसाले का खाना आता है. नवरात्रि में सात्विक भोजन करने का विधान है, और इसमें लहसुन प्याज शामिल नहीं है |
राजसिक भोजन-
राजसिक भोजन वो होता है, जो खाने में अत्यधिक स्वादिष्ट लगता है ,और साथ ही साथ इनमें अलग तरह की गंध होती है , ऐसी गंध जो मुंह में काफी लंबे समय तक रहती है ,लहसुन, प्याज, मशरूम जैसे पौधे राजसिक भोजन में आते हैं. इस तरह का भोजन काफी मसाले के साथ पकाया जाता है. ये ब्राह्मण, जैन धर्म शास्त्रों में इन्हें अच्छा नहीं माना गया है. तर्क ये है कि राजसिक भोजन खाने से उत्तेजना या उन्माद बढ़ता है, ये भोजन ध्यान में विघ्न पैदा करता है |