गंगापुत्र की आखिरी चिट्ठी PM मोदी को, त्यागे अपने प्राण

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गंगा को अविरल बनाने से लिए ‘गंगा संरक्षण प्रबंधन अधिनियम’ की मांग को लेकर अनशन पर बैठे प्रोफेसर जीडी अग्रवाल का गुरुवार ऋषिकेश के एम्स में निधन हो गया | प्रोफेसर अग्रवाल पिछले 111 दिन से अनशन पर थे और मंगलवार को उन्होने जल भी त्याग दिया था | जिसके बाद प्रशासन ने उन्हें जबरन उठाकर एम्स में भर्ती करा दिया |

 

 

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल को स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के नाम से भी जाना जाता था | जिन्होंने गंगा की अविरलता सुनिश्चित करने के लिए अपनी पूरा जीवन समर्पित कर दिया | उनकी मांग थी कि गंगा की सहायक नदियों पर बन रहे पनबिजली परियोजनाओं को बंद किया जाए और गंगा संरक्षण प्रबंधन अधिनियम लागू किया जाए |

 

 

उन्होने गंगा को पुनर्जीवित करने के लिए जिम्मेदार मंत्रियों और प्रधानमंत्री को कई पत्र लिखे, हालांकि, उनके किसी भी पत्र पर संबंधित अधिकारियों की तरफ से ऐसी प्रतिक्रिया नही आई जिसकी उन्हें उम्मीद थी |

 

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इस खत में स्वामी सानंद ने पीएम मोदी को लिखा था कि ‘2014 के लोकसभा चुनाव तक तो तुम भी स्वयं मां गंगाजी के समझदार, लाडले और मां के प्रति समर्पित बेटा होने की बात करते थे, लेकिन यह चुनाव मां के आर्शीवाद और प्रभु राम की कृपा से जीतकर अब तो तुम मां के कुछ लालची, विलासिता-प्रिय बेटे-बेटियों के समूह में फंस गए हो।

 

 

उन नालायकों की विलासिता के साधन (जैसे अधिक बिजली) जुटाने के लिए, जिसे तुम लोग विकास कहते हो, कभी जलमार्ग के नाम से बूढ़ी मां को बोझा ढोने वाला खच्चर बना डालना चाहते हो।’

 

 

प्रफेसर जीडी अग्रवाल यानी स्वामी सानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम 24 फरवरी 2018 को जो खुला खत लिखा था, उसको काशी में ही सार्वजनिक किया था। इस खुले खत में अफसोस जाहिर करते हुए उन्होंने लिखा था आपकी सरकार द्वारा गंगा मंत्रालय गठन के साथ जो उम्मीदें जगी थीं, वह चार साल में धराशायी हो गई हैं, इसलिए गंगा दशहरा यानी 22 जून 2018 से हरिद्वार में निर्णायक अनशन करने का फैसला किया है।

 

 

स्वामी सानंद ने अपने अनशन से पूर्व प्रधानमंत्री को कई पत्र लिखकर गंगा में खनन रोकने समेत तमाम मुद्दों को रखते हुए लिखे, लेकिन उनकी अनसुनी होते देख वे अनशन पर बैठ गए। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भी उनके जीवन को सुरक्षित रखने और उनको अपनी मांग के संबंध में आंदोलन करने देने को लेकर निर्देश दिए थे। सुबह गंगा के लिए अनशन कर रहे प्रफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद ने एक पत्र लिखकर अपना शरीर एम्स को दान करने के लिए संकल्प पत्र लिखा।

 

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पूर्व प्रफेसर ज्ञानस्वरूप सानंद के 9 अक्टूबर से जल का त्याग करते ही जिला प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए थे और प्रशासन ने बुधवार दोपहर बाद स्वामी सानंद को जबरन अनशन से उठाते हुए उपचार के लिए ऋषिकेश एम्स में भर्ती करा दिया था। उन्हें मातृसदन आश्रम से पुलिस और प्रशासन की टीम ने चिकित्सकों की मौजूदगी में एम्बुलेंस से ऋषिकेश एम्स भिजवाया। ऐसा करने से पहले प्रशासन ने आश्रम और उसके पास धारा 144 भी लागू कर दी थी।

 

 

प्रफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी सानंद गंगा रक्षा के लिए 22 जून से तपस्यारत थे। उनकी मांग गंगा पर बन रही विद्युत परियोजनाओं को निरस्त करने और नर्इ परियोजना नहीं बनाने समेत गंगा को लेकर साल 2012 में तैयार किए ड्राफ्ट पर संसद में गंगा ऐक्ट लाने की थी। इसके अलावा उत्तराखंड की भागीरथी, मंदाकिनी, अलकनंदा, पिंडर, धौली गंगा और विष्णु गंगा नदी पर निर्माणाधीन व प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनाओं पर रोक लगाने, गंगा क्षेत्र में वनों के कटान और खनन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने, गंगा से जुड़े अहम फैसलों के लिए गंगा भक्त परिषद का गठन करने।

 

 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के देहावसान का समाचार पाकर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल एम्स पहुंचे। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद ने गंगा की सेवा के लिए अपना जीवन आहूत किया है। उन्होंने स्वामी सानंद को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि गंगा की अविरलता व निर्मलता को लेकर उनकी मांगे जायज थी, जिन पर विचार किया जाना चाहिए था।

 

 

संभव है कि सरकार की कुछ मजबूरियां रही हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी सानंद का देहावसान किन कारणों से हुआ यह पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता चल पाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने स्वामी सानंद का व्रत तुड़वाने के लिए हर संभव प्रयास किया, इसलिए यह कहना गलत है कि केंद्र सरकार स्वामी सानंद के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित नहीं थी।

 

 

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद (प्रो. जीडी अग्रवाल) के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश मे मुख्यमंत्री ने कहा कि गंगा को लेकर विभिन्न मुद्दों के लिए अनशनरत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के निधन से उन्हें गहरा दुख पहुंचा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी सानंद की मुख्य मांग थी कि गंगा के लिए अलग से एक्ट बनाया जाए और राज्य में तमाम जलविद्युत परियोजनाओं को रद किया जाए।

 

 

इस कार्य के अध्ययन और उस पर योजना बनाने में थोड़ा समय लगता है। हमारी सरकार और केंद्र सरकार लगातार उनसे संपर्क में थी, बातचीत होती थी। केंद्रीय पेयजल मंत्री उमा भारती ने उनसे मुलाकात की थी। उसके बाद जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने भी फोन पर उनसे बातचीत की थी।

 

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से भी इस मुद्दे पर पूरी संवेदनशीलता दिखाई गई थी। सरकार के प्रतिनिधि लगातार उनके संपर्क में थे। हरिद्वार के सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक भी उनसे मुलाकात करने पहुंचे थे। हमारी कोशिश थी कि किसी तरह से उनकी जान बचाई जा सके, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी उन्होंने अनशन तोडऩे से इन्कार कर दिया।

 

 

जैसे ही उन्होंने नौ अक्टूबर को जल का त्याग किया, उन्हें तत्काल ऋषिकेश एम्स में भर्ती कराया गया था। एम्स के डाक्टरों ने भी उनकी जान बचाने का भरसक प्रयास किया। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट ने भी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया।