नई दिल्ली :- बिहार की राजनीति इन दिनों नई करवट लेती दिख रही है, एनडीए के अंदर सीटों के बंटवारे के लिए सींचतान अभी भी खत्म नहीं हुई है | एक ओर आरएलएसपी सीट बंटवारे को लेकर नाखुश दिख रही है तो वहीं, एलजेपी का कहना है कि सहयोगी दलों को सम्मानजनक सीट मिलनी चाहिए, तभी कोई बात बनेगी|
चिराग पासवान का कहना है कि पहले सहयोगी दलों में सीट बांटी जाएगी उसके बाद बीजेपी और जेडीयू बरारबर सीटें आपस में बांट लें, एनडीए के सहयोगी दल लगातार बीजेपी पर दबाव बना रहे हैं। चिराग पासवान ने एनडीए के अंदर सीट बंटवारे को लेकर कहा है कि बीजेपी-जेडीयू बराबर सीटें बांटे यह बात अच्छी है, बीजेपी और जेडीयू दोनों ही बड़ी पार्टियां है | लेकिन एनडीए में सहयोगी दलों के ऊपर भी ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि सभी सहयोगी दलों को भी सम्मानजनक सीट चाहिए |
उन्होंने कहा कि मैं कोई राजनीति नहीं कर रहा हूं और न ही सीएम पर कोई व्यंग्यात्मक टिप्पणी। लेकिन सीएम ने खुद बताया था कि वह 2020 के बाद पद पर नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जितने अच्छे से उपेंद्र कुशवाहा जानता है, उतना कोई नहीं जानता है। और जितने अच्छे से नीतीश कुमार हमें जानते हैं, उतना हमें कोई नहीं जानता।
कुशवाहा ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार ने मुझसे एक बार कहा था कि कितना साल बिहार के मुख्यमंत्री रहेंगे। 15 साल का कार्यकाल बहुत हो रहा है। अब लगभग स्थान खाली होने वाला है। इस रूप में नीतीश कुमार ने अपनी भावना को साझा किया था। अब नीतीश कुमार के मन की इच्छा पूरी हो चुकी है। लेकिन मेरी बातों का गलत मतलब निकाला जाता है। कहा जाता है कि उपेंद्र कुशवाहा ने सीएम नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है। पर ऐसा नहीं है।
वहीं जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कुशवाहा के दावे को खारिज करते हुए कहा कि नीतीश कुमार विधायिक और विधायकों की पसंद के आधार पर मुख्यमंत्री बने थे। हालांकि कुशवाहा ने कई बार कहा कि उनकी बातों का गलत अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि वह सीएम से इस्तीफा नहीं मांग रहे हैं।
आपको बता दें कि राष्ट्रीय लोक शक्ति पार्टी (RLSP) बिहार में एनडीए का हिस्सा है, इसी गठबंधन के नेता नीतीश कुमार है, ये कोई पहला मौका नहीं है जब उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश के खिलाफ कोई बयान दिया हो, इस साल उन्होंने जुलाई में भी नीतीश कुमार के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे | उन्होंने कहा था कि नीतीश को अगले चुनाव में मुख्यमंत्री का उम्मीदवार नहीं बनाया जाना चाहिए |
उपेंद्र कुशवाहा पहले जनता दल यूनाइटेड में ही थे | लेकिन अनुशासनात्मक आधार पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था | बाद में साल 2013 में उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली, जब नीतीश बीजेपी से अलग हुए तो कुशवाहा ने अपनी पार्टी को एनडीए में शामिल कर लिया |