तृप्ति देसाई की गिरफ्तारी से केरल में तनाव, 144 धरा लागू

Tripti Desai

कोच्चि :- केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के कपाट शुक्रवार शाम 5 बजे दर्शन के लिए खुल गए। हिंदूवादी प्रदर्शनकारियों के भारी विरोध के बीच केरल के चर्चित सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचीं सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई और छह अन्य महिलाओं ने हवाईअड्डे पर से पुणे लौटने का फैसला किया है। तृप्ति और उनके साथ आया समूह शुक्रवार तड़के लगभग 4 बजकर 45 मिनट पर यहां पहुंचा था। उनके आने के बाद बीजेपी और संघ परिवार के कार्यकर्ता हवाईअड्डे के बाहर प्रदर्शन करने लगे, इसलिए वह हवाईअड्डे से बाहर नहीं निकल पाईं।

 

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करीब 50 से ज्यादा उम्र की शशिकला दर्शन के लिए आई थी लेकिन उन्हें रोक दिया गया। निषेधाज्ञा तोड़ने के आरोप में उन्हें तड़के करीब 2 बजे गिरफ्तार किया गया। सुबह छह बजे से 12 घंटे के घंटे के लिए बुलाए गए बंद के बाद ऐसा माना जा रहा कि है यह श्रद्धालुओं के आने पर असर डालेगा।

 

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पिछली रात को महिला कार्यकर्ता तृप्ति देसाई का रास्ता रोकने के आरोप में करीब 500 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। सबरीमाला दर्शन के लिए पुणे से कोच्च एयरपोर्ट आयी तृप्ति को करीब 14 घंटे तक चले भारी ड्रामे के बाद वापस जाना पड़ा।

 

 

संस्था ने बंद का आह्वान हिंदू ऐक्या वेदी की राज्य अध्यक्ष केरी ससिकला की शनिवार तड़के हुई गिरफ्तारी के विरोध में बुलाया है। माना जाता है कि ससिकला की उम्र 50 से ऊपर है और वह मंदिर दर्शनों के लिए पहुंची थी लेकिन उन्हें जाने से रोक दिया गया। उन्हें रात के 2 बजे उस समय गिरफ्तार किया गया जब उन्होंने आदेश का उल्लंघन किया। शशिकला की गिरफ्तारी के बाद से भारी तनाव है। पुलिस ने बताया कि धारा 144 के उल्लंघन को लेकर उन्हें प्रिवेंटिव कस्टडी में लिया गया है।

 

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12 घंटे के इस बंद का असर तीर्थयात्रियों पर पड़ने की संभावना है। हालांकि उन्हें छूट दी गई है। पुलिस ने शुक्रवार रात को भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक और महिला कार्यकर्ता तृत्पि देसाई का रास्ता रोकने के कारण 500 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया है। उन्हें प्रदर्शनकारियों ने कोच्चि एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया। 14 घंटे तक चले ड्रामे के बाद वह शनिवार तड़के मुंबई वापस चली गईं।

 

 

तृप्ति ने किया था ऐलान :
तृप्ति ने एलान किया था कि वो मंदिर में दाखिल होंगी और भगवान अयप्पा के दर्शन करेंगी। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने कोच्चि एयरपोर्ट से उन्हें सबरीमाला मंदिर नहीं जाने दिया। बता दें कि शुक्रवार शाम मंदिर के कपाट दो महीने के लिए खोले गए और वार्षिक पूजा हुई। वहीं एहतियात के तौर पर मंदिर परिसर में भारी संख्या में पुलिसबल तैनात किए गए हैं।

 

 

तृप्ति देसाई ने का कहना है की, ‘विरोध करने वाले लोग हिंसा और गुंडागर्दी पर उतारू हो रहे थे। वे लोग खुद को भगवान अयप्पा का भक्त कह रहे थे, लेकिन मुझे नहीं लगता कि वो लोग भक्त हो सकते हैं। पुलिस ने हमसे कहा कि वह हमें अगली बार सुरक्षा देंगे। हमने वापस आने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि हम अपनी वजह से हिंसा नहीं होने देना चाहते थे। इस बार हम वहां घोषणा करके गए थे लेकिन अगली बार हम बिना घोषणा के जाएंगे और गुरिल्ला रणनीति अपनाएंगे।’

 

 

SC में दायर की गयी थी याचिका :
– जयमाला के दावे पर केरल में हंगामा होने के बाद मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित होने के इस मुद्दे पर लोगों का ध्यान गया। 2006 में राज्य के यंग लॉयर्स असोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की।
– इसके बावजूद अगले 10 साल तक महिलाओं के सबरीमाला मंदिर में प्रवेश का मामला लटका रहा।

 

 

SC ने किया था हस्तक्षेप :
– याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के ट्रस्ट त्रावणकोर देवासम बोर्ड से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति न देने पर जवाब मांगा था।
– बोर्ड ने कहा था कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे और इस वजह से मंदिर में वही बच्चियां व महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं, जिनका मासिक धर्म शुरू न हुआ हो या फिर खत्म हो चुका हो।
– 7 नवंबर 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपना रुख जाहिर किया था कि वह सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के पक्ष में है।