जब भी महसूस हुई उस के बदन की ख़ुशबू

जब  भी  महसूस हुई उस के  बदन की  ख़ुशबू,

हर  तरफ़  फैल  गई  गंगो   ज़मन  की  ख़ुशबू।

कोई  परदेस  की दहलीज़ पे रक्खा  जो क़दम,

मेरी  अँगड़ाई  में  आ  जाती  वतन  की ख़ुशबू।

 

इस को  छोटी  न समझना  है बड़ी बात जनाब,

मेरे  गुलदानों  में  सिमटी  है  चमन  की  ख़ुशबू।

लब ने ख़ामोशी की दीवारों को  मिसमार किया,

बज़्म  में  नग़मा  सरा  होती  दहन  की  ख़ुशबू।

 

hindi gajal

 

सारी  दुनियां  में फ़क़त हिन्द ही वह गुलशन है,

जिस  में  फैली  है सदा  भाई  बहेन की ख़ुशबू।

जिस  की  नीयत  में  कोई  खोट  नहीं होता है,

उस की  तहरीर में दिखती है ज़हन की ख़ुशबू।

 

राधा  की पलकों पे जमुना भी   ठहर  जाती है,

याद  जब  आती  मुरारी  के  नयन  की ख़ुशबू।

बेवफ़ाई  के  सबब  किस  को  मिली  है  राहत,

दिल में हर लमहा रही उसकी चुभन की ख़ुशबू।

 

ज़िन्दगी  कटती  रही   ‘ मेहदी ‘ अंधेरों   सदा,

हर क़दम मिलती रही उसको थकन की ख़ुशबू।

मेहदी अब्बास रिज़वी

   ” मेहदी हल्लौरी “