विपता में उलझी जान हमारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया,
राह तकत हैं भक्त तिहारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
दुष्टों से जीवन है अंधियारा नगर नगर में कोलाहल है,
डगर में बहती रक्त की सरिता डरा डरा सा जल है थल है,
चिंता घेरे मुकुट बिहारी , आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
राह तकत है भक्त तिहारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
जमुना तट सन्नाटे में है कलियां बन में झुलस रही हैं,
तेरी अगवानी को सोहन हृदय में ही बिलक रही है,
व्याकुल व्याकुल है नर नारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
राह तकत है भक्त तिहारी , आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
लालच झूठ का सजा है मेला मानव मानव को है खाता,
सत्य वचन सब भूल गए हैं झूठे मद में जग मदमाता,
सूख गई जीवन की क्यारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
राह तकत है भक्त तिहारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
अंगना अंगना कुरुक्षेत्र है घर घर मचा महाभारत है,
पाप का साग र उबल रहा हैं पीड़ित तेरा अब भारत है,
हो जाएँ गें जन जन वारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।
राह तकत है भक्त तिहारी, आ जाओ हे कृष्ण कन्हैया।