नई दिल्ली :- चुनाव से पहले मोदी सरकार की लोक-लुभावन घोषणाओं से देश की अर्थव्यवस्था पर 1 लाख करोड़ रुपए का बोझ बढ़ सकता है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। इसके मुताबिक अतिरिक्त खर्चों और राजस्व के नुकसान का बोझ चुनाव के बाद नई सरकार को उठाना पड़ेगा। चुनाव पूर्व घोषणाओं की वजह से सरकार की वित्तीय घाटे को कम करने की योजना में भी देरी के आसार हैं।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पिछले साल पांच राज्यों के हुए विधानसभा चुनाव में तीन अहम राज्यों को अपने हाथ से गंवा बैठी है | इसके पीछे सबसे बड़ी वजह किसानों का गुस्सा था क्योंकि सरकार उनकी लागत के हिसाब से फसल की कीमत मुहैया नहीं करा पा रही थी | सरकारी सूत्रों के मुताबिक अंतरिम बजट में सरकार किसानों के लिए बड़े ऐलान कर सकती है। किसानों के खातों में सीधे रकम ट्रांसफर और ब्याज मुक्त कर्ज की घोषणा किए जाने के उम्मीद हैं।
चुनाव को देखते हुए केंद्र सरकार लोक-लुभावन घोषणाओं को हरी झंडी दे सकती है | मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार किसान और गरीब आदमी मोदी सरकार की प्राथमिकता में हैं | कई मीडिया हाउस ने बताया है कि मोदी सरकार इस वर्ग को खुश करने के लिए बिना ब्याज के लोन, प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डायरेक्ट कैश ट्रांसफर, गरीबों के खाते में न्यूनतम पैसा भेजने संबंधी योजनाओं को लागू कर सकती है | एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो देश की अर्थव्यवस्था पर 1 लाख करोड़ रुपये का बोझ बढ़ सकता है |