ग़ज़ल : ज़ेहन पे छाई हैं जो बदलियां हटा के चलो, ग़लत निज़ाम पे अब बिजलियाँ गिरा के चलो
Apr 19, 2019Comments Off on ग़ज़ल : ज़ेहन पे छाई हैं जो बदलियां हटा के चलो, ग़लत निज़ाम पे अब बिजलियाँ गिरा के चलो
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