1990 कस्टोडियल डेथ केस में बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को उम्रकैद

IPS SANJEEV BHATT

एक जमाने में गुजरात पुलिस के चर्चित अधिकारी रहे आईपीएस संजीव भट्ट को गुरुवार को गुजरात के जामनगर की एक अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई . आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट (55) को लगभग तीन दशक पुराने हिरासत में मौत (कस्टोडियल डेथ) से जुड़े एक मामले में ये सजा सुनायी है . जामजोधपुर शहर में 1990 में हुए दंगे के दौरान 100 से अधिक लोगों को हिरासत में लेने के आदेश दिये थे . हिरासत से मुक्त किये जाने के बाद इनमें से एक प्रभुदास वैष्णानी की अस्पताल में मौत हो गयी थी .

उनकी हिरासत के दौरान पिटाई की गई थी. मृतक के भाई अमृत वैष्णानी ने इस मामले में भट्ट समेत आठ पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाते हुए मामला दर्ज कराया था.  एक अन्य आरोपी तथा तत्कालीन कांस्टेबल प्रवीण झाला को भी उम्रकैद की सजा दी गई . आईआईटी मुंबई से पोस्ट ग्रेजुएट संजीव भट्ट वर्ष 1988 में भारतीय पुलिस सेवा में आए. उन्होंने आईआईटी मुंबई से एम टेक किया था . उसके बाद संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में बैठे और सफल हुए . आईपीएस बनने के बाद उन्हें गुजरात काडर मिला .

IPS SANJEEV BHATT JI

इसके बाद करीब ढाई दशकों तक उन्होंने गुजरात के ज़िलों, पुलिस आयुक्त के कार्यालय और अन्य पुलिस इकाइयों में काम किया. बाद में 2015 में गुजरात सरकार ने उन्हें बर्खास्त कर दिया था.  पिछले साल सितंबर में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया गया. तब से वो जेल में ही थे. भट्ट को 2011 में बिना अनुमति के ड्यूटी से नदारद रहने और सरकारी गाड़ियों का दुरुपयोग करने के आरोप में निलंबित किया गया था. बाद में अगस्त 2015 में इसी आधार पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया . कुछ महीने पहले आईपीएस संजीव भट्ट की पत्नी श्वेता भट्ट ने अपनी फेसबुक पोस्ट में ये भी लिखा था कि एक तेज गति से आते ट्रक से उन्हें और बेटे को मारने की कोशिश की . श्वेता भट्ट ने आरोप लगाया था कि उनके पति की जान खतरे में है .