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“सिसकता बचपन” – ज्ञान की आलिशान इमारतों का काला सच
Sep 12, 2017
रिपोर्ट – अंकित मित्तल
रीडर टाइम्स
1 ) व्यावसायिकता की अंधी दौड़ में ध्येय से भटके विद्यालय .
2 ) विद्यालय के साथ अभिभावक भी हुए लापरवाह .
पिछले दिनों गुरुग्राम में घटी घटना ने एक बार फिर देश भर को सोचने पर मजबूर कर दिया कि हम इस तेज़ी से बदलती हुए समाज के अनुसार काम पैने ही साबित होते हैं. बच्चों के तय समय पर स्कूल भेजने और फीस भरने से ऊपर कई और अहम् मुद्दे हैं जिनकी बारीकी से पड़ताल होनी चाहिए वार्ना इस तरह कि घटनाओं कि पुनरावृत्ति होती ही रहेगी. मौजूदा शिक्षा प्रणाली अपने ध्येय से पूरी तरह भटक चुकी है , सर से पैर तक व्यावसायिकता में डूबी शिक्षा आधे-अधूरे ज्ञान को मखमल में लपेटकर जब आपके जिगर के टुकड़े को पेश की जाती है तो मोती फीस भरने के अनुपात में आपको काफी सुकून दे जाती है लेकिन उस समय भरी भरकम कंक्रीट के गुम्बदों के पीछे की स्याह गहराईयों का पता तो मासूमों की चीख निकलने के बाद ही चलता है.
गुरुग्राम के प्रद्युमन के साथ जो ह्यदय विदारक घटना घटी , प्रायः ऐसी घटनाओं का पूर्वाभास नहीं हो पाता है लेकिन बाद में की गई जांचों में स्कूल प्रशासन की लापरवाही भी सामने आयी है . ऐसे में उस बस कंडक्टर के साथ साथ स्कूल भी इस घटना का कहीं न कहीं दोषी है . हम अक्सर जब भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित होते हैं तो अपराध की आशंका स्कूली यातायात या बस सेवा को लेकर ही होती है लेकिन अपराध जब भी विद्यालय परिसर के अंदर होता है तो उसका अनुमान भी लगाना लगभग असंभव ही होता है. ज़्यादातर अभिभावक स्कूल परिसर के अंदर अपने बच्चे को मेहफ़ूज़ समझते हैं लेकिन दुर्घटना परिसर के भीतर घटित होती है तो यह स्तब्ध करने वाली ही होती है.
रेयान इंटरनेशनल स्कूल जो एक जाना माना स्कूल है में जानकार काम अचरज नहीं हुआ कि बच्चों का और स्टाफ के लिए एक ही टॉयलेट था . यदि बच्चों के टॉयलेट तक उस कंडक्टर की पहुँच नहीं होती तो शायद प्रद्युम्न आज हम लोगों के बीच में होता. आरोपी शौचालय में अपनी यौन कुंठा के कारण पहले से ही मौजूद था और प्रद्युम्न जैसे ही वाहन पहुंचा , आरोपी ने दुष्कर्म के इरादे से उसे दबोच लिया और विरोध करने व चीखने पर उसका गला रेत दिया. गौरतलब है की इसी रेयान इंटरनेशनल स्कूल के दिल्ली वसंतकुंज स्थित स्कूल में पिछले साल जनवरी में एक बच्चे की पानी की टंकी में डूब कर संदिग्ध अवस्था में मौत हो गयी थी .कुछ दिनों के शोर शराबे के बाग़ मामला ठंडा पड़ गया था.
स्कूलों की संवेदनहीनता का इससे बड़ा नमूना और क्या हो सकता है की आंध्र प्रदेश के हैदराबाद के एक प्राइवेट स्कूल में सिविल ड्रेस में आने पर टीचर ने कथित तौर पर 5 वीं की एक 11 वर्षीय लड़की को सजा के तौर पर लड़कों के टॉयलेट में खड़ा कर दिया गया , काफी देर वाहन खड़ा रहने के बाद जब वह घर लौटी तब से वह स्कूल जाने को तैयार नहीं है . बताते चलें कि गुरुग्राम की घटना के बाद दिल्ली के एक स्कूल में 10 साल की एक बच्ची के साथ रेप की घटना घटी जिसके पश्चात् उसी स्कूल के दोषी चौकीदार को गिरफ्तार किया गया.
अब सवाल यह उठता है की विद्यालय परिसर के अंदर हो रही इन घटनाओं के पीछे कहीं न नहीं विद्यालय प्रशासन की कमियां साफ़ नज़र आ रही हैं. शैक्षिक बोर्डों के द्वारा जारी तमाम निर्देशों के बावजूद किसी भी नियम का ठीक ढंग से पालन न होना ही इन घटनाओं की पुनरावृत्ति का मुख्य कारण है . महज़ फीस चुका देने मात्र को ही दायित्व की पूर्ती मानने वाले अभिभावकों को अपने बच्चे से जुडी तमाम सुरक्षा कारणों के बारे में समय-समय पर स्कूल को अवगत कराना चाहिए.