रिपोर्ट -संदीप द्विवेदी (रीडर टाइम्स )
सण्डीला-उत्तर प्रदेश की इतिहासिक तहसील व हरदोई जनपद के कस्बा सण्डीला कई मायनों में अपनी अहमियत का हामिल है अवध की सरजमी से संबंध रखने वाला ये कस्बा कारोबारी है सियासत के साथ-साथ औद्योगिक क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। संडीला के लोगो ने जहां उर्दू साहित्य में, उर्दू पत्रकारिता में और आज़ादी की लड़ाई में अपनी बहादुरी दिखाकर नई इबारत लिख दी , साथ ही भारत के संविधान सभा की सदस्य रहीं बेग़म कुदसिया का सम्बंध भी संडीला से होने के कारण यहां के लोग सण्डीला का नाम गर्व से लेते हैं।
नगर को ओवर ब्रिज की सख्त आवश्यकता है लेकिन आज तक किसी, एमपी, एमएलए व एमएलसी व अन्य जनप्रतिनिधियों ने ओवर ब्रिज बनवाने में कोई दिलचस्पी नही दिखाई। जबकि कई पार्टियों के कई नेता सण्डीला की विकास की बात करते हुए इस विकास के मुद्दे को भुनाया बल्कि वादों की झड़ी लगा कर वो कामयाब भी होगये लेकिन कस्बा की समस्याएं जस की तस रहीं आज भी बरकरार है। मालूम रहे विगत दिनों बांगरमऊ के जिला बनने की ख़बर पे सण्डीला के लोगो में बेचैनी होने लगी है नगर के कई सम्भ्रांत लोगो ने सण्डीला जिला बनाने के लिए कोर्ट की सहायता लेने की बात कही जा रही है और जल्दी ही सण्डीला ज़िला बनाओ संघर्ष मोर्चा के ऐलान किया जाएगा।
आजादी के बाद आज 65 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी संडीला क़स्बा आज भी तमाम प्राथमिक सुविधाओं से महरूम है उत्तर प्रदेश की इतिहासिक तहसील सण्डीला राजनीति की भेंट चढ़ जाने के कारण जिला न बन सकी, ना ही जंक्शन बन सका संडीला के विकास में आजादी के बाद से लेकर आज तक तमाम राजनीतिक रुकावटें पैदा की गई जो आज भी जारी है जबकि संडीला के बाद बनने वाली तमाम तहसीलें आज जिला बन चुकी हैं।
लेकिन अफसोस कि कुछ राजनीतिको ने अपनी राजनीति चमकाने के कारण सण्डीला के विकास के साथ भी राजनीति करते रहे और आज तक सण्डीला को जनपद बनने नहीं बनने दिया,न ही कोई प्रयास किया संडीला को आज तक ऐसा कोई राजनीतिक या सामाजिक व्यक्ति नहीं मिला जो सण्डीला को विकास की ओर अग्रसर करता आज भी नगर में पानी की निकासी का कोई उचित प्रबंध नहीं है पार्किंग, सीवर लाइन, मुख्य चौराहों पर सौचालय, रिक्शा स्टेंड, बस स्टैंड, पीने के पानी सप्लाई की साफ व्यवस्था तक नही हो पाई, नगर में घंटों लगने वाले जाम से लोग रोज परेशान रहते हैं ।