संवाददाता एच एन तिवाड़ी
रीडर टाइम्स
दौसा, जिले में परिवहन विभाग की लापरवाही और मिलीभगत से करीब एक दर्जन रूटों पर निजी बस व जीपें प्रतिदिन का लाखों का राजस्व चूना लगा रही है। जिला मुख्यालय पर तो कोतवाली पुलिस थाने के सामने ही जयपुर के लिए दिनभर निजी बसें संचालित हो रही है। यही नहीं सभी रूटों का कमोबेश यही हाल है। वर्तमान में दौसा आगरा में मात्र 74 बसें हैं, जबकि जिला मुख्यालय पर करीब तीन सौ कार व बसें विभिन्न रूटों पर सवारियां ढोती दौड़ रही है।
* यहां बने हुए निजी वाहनों के स्टैण्ड
जिला मुख्यालय पर शहर में कई जगह निजी बसों एवं जीपों के स्टैण्ड बने हुए हैं। यहां पर कोतवाली पुलिस थाने के सामने जयपुर की ओर जाने वाली बसों एवं कारों का स्टैण्ड बना हुआ है। इसी प्रकार संस्कृत कॉलेज के समीप लालसोट रोड लालसोट, पापड़दा, लवाण, गंगापुर की ओर जाने वाली बसों के स्टैण्ड बने हुए हैं। इसी प्रकार शहर के आगरा रोड पर सिकंदरा, लालसर, कुण्डल की ओर जाने वाली बसों का स्टैण्ड बना हुआ है। वहीं कलक्ट्रेट चौराहे पर सिकंदरा, महुवा व बांदीकुई की ओर जाने वाली बसों का स्टैण्ड बना हुआ है। लालसोट शहर में भी कौथून रोड पर चलने वाली बसों, गंगापुर की ओर जाने वाली बसों के स्टैण्ड बने हुए हैं। महुवा कस्बे में भी मण्डावर व हिण्डौन की ओर जाने वाली बसों के स्टैण्ड बने हुए हैं। यही नहीं सिकंदरा, मेहंदीपुर बालाजी व बांदीकुई में भी विभिन्न स्थानों की ओर जाने वाली बसों के स्टैण्ड बने हुए हैं।जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय से जुड़े बड़े कस्बों के एक- एक रूट पर दिनभर में किसी पर तीस तो कहीं पर चालीस बस व जीप चलती है। जबकि इनमें से कईयों पर एक भी रोडवेज बस नहीं चल रही है। रोडवेज के आगे चलती है बसें जिला मुख्यालय एवं कई कस्बों में बने निजी बस स्टैण्डों पर आवागमन करने वाली बसें रोडवेज बसों के आगे चलती है। इससे रोडवेज को सवारी नहीं मिल पाती है। रोडवेज निरन्तर घाटे में जा रही है। इन रूटों पर परिवहन विभाग कोई कार्रवाई नहीं करता है। ऐसे में इनके हौंसले बुलंद हो रहे हैं। यही नहीं शहर के मध्य बने इन बस व कार स्टैण्डों की वजह से शहर की यातायात व्यवस्था चरमरा रही है। आए दिन हादसे की आशंका बनी रहती है।जान हथेली पर ले कर चलते हैं शहर से जुड़े बस व कार स्टैण्डों से ये वाहन चालक सवारियां ढोने में नियमों की जमकर धज्जिया उड़ा रहे हैं। बस व कार चालक उनके वाहन जितनी सवारियां पास होती है उससे दो से तीन गुणे तक सवारियां ढोते हैं। यहां तक ही छतों पर भी सवारियां ढोई जा रही है। कार चालकों की तो हालत ही खराब है। ऊपर नीचे इतनी सवारियां भरतें हैं कि चालक तक को बैठने के लिए जगह नहीं बचती है। जीपों में चालक आधा पौन फीट की जगह में ही बैठ कर ड्राविंग करता है।बसों की कमी है कम बसों के कारण कई रूटों पर बसें नहीं चल रही थी। अब बसें आवंटित हो रही है। शीघ्र ही अन्य रूटों पर भी बसें चलाई जाएगी।