ब्यूरो हैड राहुल भारद्वाज
रीडर टाइम्स
जयपुर , देश के जम्मू-कश्मीर में कुपवाडा जिले के हंदवाड़ा में हुए आतंकवादी हमले के दौरान मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा का मंगलवार को सैन्य सम्मान के साथ जयपुर के अजमेर रोड पुरानी चुंगी नाका स्थित मोक्षधाम में अंतिम संस्कार किया गया ।यहां शहीद आशुतोष के भाई पीयूष शर्मा एवं शहीद की पत्नी पल्लवी ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पूर्व शहीद को सेना के द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। इस मौके शहीद के परिजन, सेना के अधिकारी एवं जवान मौजूद थे।
इससे पूर्व शहीद आशुतोष का पार्थिव शरीर सेना के 61 कैवलरी पोलो ग्राउंड पर अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पार्थिव शरीर पर पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।राज्य के कृषि मंत्री लाल चंद कटारिया एवं परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, पूर्व केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जिला कलेक्टर डॉ जोगाराम, सेना के अधिकारियों एवं जवानों ने भी पुष्प चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान सेना के जवानों ने शस्त्र उल्टा करके व बैंड वादन के द्वारा शहीद को सैन्य सम्मान दिया । शहीद की पत्नी पल्लवी, मां सहित परिजनों ने आंसू नहीं बहाए और उनकी शहादत पर गर्व करते हुए उन्हें सलाम किया।शहीद की अंतिम यात्रा में रास्ते में सड़क किनारे खड़े लोगों ने भी सामाजिक दूरी का पालन करते हुए पुष्प वर्षा कर उन्हें सलाम किया। लोगों ने कर्नल आशुतोष अमर रहे, जय जवान जय किसान एवं पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए । कर्नल आशुतोष की पार्थिव देह सोमवार को विशेष विमान से जयपुर पहुंचा थी । और मंगलवार सुबह सैन्य अस्पताल स उनका पार्थिव शरीर पोलो ग्राउंड लाया गया। उल्लेखनीय है कि कर्नल आशुतोष रविवार को हंदवाड़ा में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए थे। वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर के निवासी थे। उनका परिवार जयपुर के वैशाली नगर स्थित रंगौली गार्डन क्षेत्र में रहता है।
• अपने साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके थे कर्नल
भारतीय सेना की21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष अपने आतंक रोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं।सिर्फ इतना ही नहीं, शहीद आशुतोष शर्मा कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर थे, जिन्होंने पिछले पांच साल में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले साल 2015 के जनवरी में कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेने के दौरान कर्नल एमएन राय शहीद हो गए थे। इसके अलावा, उसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक भी आतंकियों के खिलाफ अभियान में शहीद हो गए थे।
• आतंकवादियों को सबक सिखाने के लिए जाने जाते थे कर्नल आशुतोष
सेना के अधिकारियों दी गई जानकारी के मुताबिक, कर्नल आशुतोष शर्मा काफी लंबे समय से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात थे और वह आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी के लिए दो बार सेना मेडल से सम्मानित किए जा चुके हैं। आतंकियों को सबक सिखाने के लिए वह जाने जाते थे। अधिकारियों के मुताबिक, शहीद आशुतोष शर्मा को कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपने कपड़ों में ग्रेनेड छिपाए हुए आतंकी से अपने जवानों की जिंदगी बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। वास्तव में उस दौरान हुआ यह कि जब एक आतंकी उनके जवानों की ओर अपने कपड़ों में ग्रेनेड लेकर बढ़ रहा था तब कर्नल शर्मा ने बहादुरी का परिचय देते हुए उस आतंकी को काफी नजदीक से गोली मारकर अपने जवानों की जान बचाई थी। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी शामिल थे।