संवाददाता अमित पांडेय
रीडर टाइम्स
* 90% बिके ईडब्लूएस फ्लैट का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ
* 1672 बन चुके बड़े फ्लैटों का कोई खरीदार नहीं
* आवंटियों से मुँह छुपाते एलडीए के अधिकारी
लखनऊ : कोरोना संकट के चलते प्रदेश सरकार वैसे ही राजस्व संकट से जूझ रही है , तमाम योजनाओं के तहत श्रमिकों और गरीब जनता को पैसे दिए जा रहे हैं. प्रदेश में उद्दोग अभी सही से शुरू नहीं हो पाए हैं, जिसकी वजह से राजस्वा संकट बना हुआ है, ऐसे में लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 350 करोड़ का नुक्सान कर प्रदेश सरकार को एक नया तोहफा दिया है । हुआ यूँ कि एलडीए के इंजीनियरों ने उन मकानों का निर्माण पहले करा दिया जो बिके ही नहीं थे जबकि जो बिके थे उन्हें आज तक नहीं बनाया। एलडीए ने 2015 – 2016 में समाजवादी योजना शुरू करी थी जिसके तहत देवपुर पारा व वसंतकुंज योजना में कुल छह हजार से ज्यादा मकान बनाए जाने थे। लेकिन 2017 में सत्ता परिवर्तन के बाद एलडीए ने बसंतकुंज योजना के करीब 2000 मकानों के निर्माण का प्रस्ताव निरस्त कर दिया था। इससे प्राधिकरण का करोड़ों रुपए नुकसान होने से बच गया था। लेकिन देवपुर पारा के मकानों के निर्माण का प्रस्ताव इसलिए निरस्त नहीं हो पाया क्योंकि इनके निर्माण के लिए बिल्डर से एग्रीमेंट हो चुका था।
देवपुर पारा में 2700 ईडब्लूएस केटेगरी के फ्लैट बनने थे और 1672 नार्मल / बड़े फ्लैट बनने थे , ईडब्लूएस के 90% फ्लैट पहले ही बिक गए लेकिन बड़े फ्लैट नहीं बिक पाए. एलडीए के इंजीनियरों के ज़्यादा समझदारी दिखते हुए 1672 फ्लैट पहले बना दिए जो अभी तक भी नहीं बिके हैं, वहीँ ईडब्लूएस केटेगरी के फ्लैट अभी तक नहीं बन पाए हैं। एलडीए के अधिकारी अब आवंटियों से मुंह छुपा रहे हैं। लोग अपने मकान के बारे में जानकारी करने आते हैं तो अधिकारी उन्हें शीघ्र मकान देने की बात कहते हैं लेकिन कब देंगे यह नहीं बताते। एलडीए ने इन फ्लैटों को 2019 में आवंटियों को देने का वादा किया था, जो आज 4 साल बाद भी पूरी तरह से खोखला है क्यूंकि 2700 फ्लैटों का कार्य अभी शुरू तक नहीं हुआ है.एलडीए ने जिन मकानों का निर्माण करा दिया गया है, उसकी लागत 350 करोड़ के करीब है, लेकिन कोई भी ग्राहक उसे खरीदने को तैयार नहीं है, जिसकी वजह से प्राधिकरण का पूरा पैसा फंस गया है। अधिकारियों का कहना है कि जिस लोकेशन पारा में इन मकानों का निर्माण कराया गया है वह बहुत खराब है। इससे आने वाले कुछ वर्षों में भी इसके बिकने की उम्मीद नहीं है. इस समय कोरोना संकट के चलते वैसे ही जनता के पास पैसे की किल्लत हो गयी है, जो आने वाले समय में सुधरती नहीं दिख रही हैं, साथ ही प्रॉपर्टी के रेट भी गिर गए हैं , क्यूंकि बाज़ार में ग्राहक मौजूद नहीं हैं।
अब देखना यह है कि आवंटियों को उनके सपना का फ्लैट कब मिलता है, वैसे सपने देखते हुए पहले ही चार साल बीत चुके है और कोरोना संकट की वजह से यह अवधि और कितने वर्ष बढ़ती है, यह समय तय करेगा