रिपोर्ट : आशुतोष कुमार , रीडर टाइम्स
१- सबसे पहले वास्तु से परिचय- वास्तु से तात्पर्य है जिस भूमि पर हम निवास / व्यापर कर रहे है . हजारो साल पहले प्राचीन भारत में प्रचलित था और आज कल फिर से लोकप्रिय होता जा रहा है. इस दुनिया की हर चीज पांच तत्वों से बनी है . पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से घटक समाविस्ट है इन से किसी एक की मात्रा भी कम या ज्यादा हो गयी तो मनुष्य पर इसका प्रभाव देखने को मिलता है .
सबसे पहले दिशा की जानकारी का ज्ञान होना आवश्यक है . जब तक दिशा का ज्ञान नहीं होगा. तब तक हम वास्तु से सम्बंधित सही जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते.
भूखंड किस आकार का होना चाहिए –
यदि आप किसी कारणवश प्लाट नहीं खरीद पा रहे है . तो ऐसे भूखंड भी ले सकते हैं जिसकी दो भुजाएँ बड़ी और दो छोटी हो . चारो कोण 90 डिग्री के हो ऐसे भूखंड को आयताकार भूखंड कहते हैं . वृताकार भूखंड भी भवन निर्माण के लिए उत्तम रहता है . वैसे अपनी आर्थिक द्रष्टि को ध्यान में रखते हुए ऐसे भूखंड खरीदना ही ठीक रहता है जिसमे दिशा, आकार , हवा, पानी, एवं प्रकाश की उचित व्यवस्था हो .
रसोई घर की दिशा
दक्षिण-पूर्व ( आग्नेय) कोण का स्वामी अग्निदेव को माना गया है. इस स्थान में यदि रसोई बनाई जाये, तो उत्तम रहता है. अतः आप रसोई घर बनवाते समय निम्न बातो का ध्यान रखे
1 . खाना बनाते समय मुँह पूर्व की ओर रहे . फ्रीज़ रसोई के वायव्य क्षेत्र में रखे .
2 . पीने के पानी का स्थान उत्तर- पूर्व कोण ( ईशान) में हो .
3 . चूल्हा या स्टोव रसोईघर के दक्षिण-पूर्व कोण ( आग्नेय) में रखने चाहिए .
4 . आप उत्तर-पश्चिम कोण (वायव्य) में भी रसोई घर बना सकते है . उत्तर-पूर्व कोण (ईशान) तथा दक्षिण-पश्चिम कोण में रसोई घर बनाने से बचे .
5 . रसोई घर खुला एवं हवादार हो .
ड्राइंग रूम –
> ड्राइंग रूम में स्वागत कक्ष, भवन के उत्तर-पश्चिम या उत्तर-पूर्व कोण में बनाना चाहिए.
> ड्राइंग रूम में सोफे या सजावटी फर्नीचर उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में रखे .
> ड्राइंग रूम का दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र फर्नीचर व वस्तुए रखें के लिए उत्तम स्थान है
> ड्राइंग रूम के पूर्व एवं उत्तर का क्षेत्र यथासंभव खली रखें.
> फर्नीचर जंहा तक हो वर्गाकार या आयताकार रखें. टेलीफोन या टीवी दक्षिण-पूर्व कोण में रखें.
शयन कक्ष
आइये इन्हे जाने-
> मुख्य शयन कक्ष को दक्षिण-पश्चिम कोण में बनाएं.
> शयन कक्ष अन्य कमरों से बड़ा हो .
> सोते समय सिर दक्षिण की ओर हो.
> आयताकार एवं वर्गाकार शयन कक्ष होने पर सम्पन्नता एवं शांति मिलती है.
डाइनिंग रूम
आजकल खाने का कमरा अलग से न बनाकर ड्राइंग काम डाइनिंग रूम बनाने का चलन है . यदि आप खाने का कमरा अलग से बना रहे हैं, तो इसे भवन के पश्चिमी भाग में बनाएं .
> पूर्व या पश्चिम की ओर मुख करके भोजन करें .
> डाइनिंग टेबल को पश्चिम दिशा में रखें . आयताकार एवं वर्गाकार फर्नीचर ही कमरे में रखें .
बच्चों का कमरा कैसा होना चाहिए
> बच्चों का कमरा पश्चिम में बनायें. उत्तर और पूर्व में भी बच्चों का कमरा बना सकते हैं.
> पूर्व में विवाहित युगल का कमरा न बनायें , अविवाहित बच्चों के लिए कमरा बनवाने में कोई परेशानी नहीं है.
> बच्चों का पलंग इस प्रकार रखें की सोते समय उनका सिर पूर्व की ओर रहे .
> विवाह योग्य कन्या का शयन कक्ष उत्तर-पश्चिम (व्यावय) कोण में हो .
पूजा घर किस डिसा में होना चाहिए
अपने घर में पूजा के कमरे का स्थान अहम् मन जाता है . इसलिए पूजा का स्थल खुला एवं बड़ा बनवाये तथा निम्न बातों का धायण रखें-
> पूजा का स्थान भवन के उत्तर-पूर्व क्षेत्र (ईशान ) कोण में बनाये. पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करें.
> दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पूजा न करे. पश्चिम की तरफ मुख काके पूजा कर सकते है .
स्नान गृह एवं शौचालय –
यदि आप स्नानघर बनवा रहे हैं, तो इसे पूर्व-पश्चिम दिशा में बनाये.
> बाथ टब को पश्चिम दिशा में रखें .
> यदि आप स्नानघर में शौचालय भी बना रहे है, तो इसे कक्ष के पश्चिम या उत्तर-पश्चिम में बनाये.
> भवन की उत्तर-पूर्व, पूर्व एवं दक्षिण-पश्चिम दिशा में शौचालय का निर्माण कभी न कराएं.
> शौचालय में सीट का मुख दक्षिण और उत्तर की ओर रखें.
> शौचालय भवन के पश्चिम, उत्तर-पश्चिम, दक्षिण क्षेत्र में ही बनवाये.
सीढ़िया किस दिशा में होना चाहिए
सीढ़िया सदा घर के अंदर ही बनवाना ठीक होता है . सीढ़िया सदा दक्षिण या पश्चिम में बनाये. घर के मध्य में सीढ़िया बनवाये . उत्तर-पूर्व में भूलकर भी सीढ़िया न बनाएं. सीढ़िया सदा दाई ओर ही घूमी होनी चाहिए.
मेन स्विच व विधुत कक्ष
अग्नि या विधुत शक्ति मीटर बोर्ड, मेन स्विच , विधुत कक्ष आदि भवन में दक्षिण पूर्व (आग्नेय) दिशा में लगाना चाहिए.
अध्ययन कक्ष कैसा हो
उत्तर-पूर्व में अध्ययन कक्ष बनना बहुत अच्छा होता है. इसके साथ ही ईशान कोण में, पूर्व दिशा में पूजा गृह के साथ अध्ययन कक्ष बनाना सर्वोत्तम है .
छत पर पानी की टंकी
भवन में छत पर पानी की टंकी के लिए उत्तम स्थान उत्तर- है , लेकिन पश्चिम भी इसके लिए चुन सकते हैं.
भूमिगत पानी की टंकी
भवन में भूमिगत जल स्थान एवं बोरिंग के लिए उत्तर-पूर्व ( ईशान क्षेत्र ) सबसे उत्तम होता है. यह स्थान भगवान का केंद्र माना जाता है. भूमिगत जल के लिए दूसरे स्थान पूर्वी क्षेत्र एवं उत्तर को भी चुन सकते हैं .
पेड़
भवन के उत्तर और पूर्वी क्षेत्र में ऊँचे पेड़ न लगाए . सिर्फ दक्षिण और पश्चिन में ऊँचे पेड़ लगाने चाहिए.
खुला स्थान कैसा होना चाहिए
प्लाट में सबसे ज्यादा खुला स्थान उत्तर, पूर्व एवं ईशान क्षेत्र व उसके बाद दक्षिण और पश्चिम में रखें.