डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
1- बसपा ने पार्टी के संगठन को मजबूत करने की गति की तेज
2- असंतुष्ट ओं को पार्टी में स्वागत कर जोड़ेंगी नया जनाधार
लखनऊ : प्रदेश में दलित शोषित व पिछड़ों की अगुवाई करके मायावती चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बन चुकी हैं | विधानसभा चुनाव 2007 में बिना किसी गठबंधन के सर्व समाज को जोड़कर मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग की जो नई मिसाल खड़ी कर अपने बलबूते पर जब सत्ता हासिल की तो बड़े बड़े राजनीतिक सूरमा ओं की जमीन खिसक गई | अब नई परिस्थिति के बदले माहौल में बसपा एक बार फिर से अपने सोशल इंजीनियरिंग के पुराने फार्मूले को आजमाने की तैयारी कर रही है |
बसपा सुप्रीमो अपने संगठन की शक्ति को भलीभांति जानती हैं | संगठन में सेंध के चलते ही उनको न सिर्फ अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी बल्कि बसपा की साख को भी करारी चोट सहनी पड़ी | अब जब प्रदेश में असंतुष्टओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है तो मायावती अपने ट्वीट के जरिए भी जनता की कोई संवेदनाओं को एक बार फिर से जगाने का प्रयास करती दिख रही है | राजनीतिक विशेषज्ञों ने मायावती को 2022 का गेम चेंजर खिलाड़ी तक कह दिया है | मायावती पिछड़ों के साथ ब्राम्हण और मुस्लिमों को जोड़कर सत्ता की चाबी हासिल करना चाहती हैं | विकास दुबे प्रकरण में सारे ब्राह्मणों को कटघरे में नहीं खड़ा किया जाने वाले बयान से ही लोगों ने मायावती के अगले कदम का आकलन लगाना शुरू कर दिया है |
सूत्रों कि मानें तो पार्टी के अंदर संगठन में भारी फेरबदल किया जा रहा है पार्टी में भाईचारा संगठन की पहल नए सिरे से की जा रही है | इसमें पिछड़े वर्ग के प्रभावशाली लोगों को जोड़कर उन्हें मंडल स्तर पर सेक्टर संयोजक व विधानसभा क्षेत्र के संयोजक के पद पर नियुक्त किया जा रहा है |समाज में संख्या के आधार पर अपर कास्ट में संयोजक नियुक्त किया जाएगा यानी क्षेत्र में संख्या के आधार पर ही उस जाति के व्यक्ति को संयोजक बनाया जाएगा |साथ ही पार्टी सर्व समाज के महत्वपूर्ण लोगों को एक साथ पार्टी लाइन से जोड़कर एक बड़ा संगठन खड़ा करने की कवायद में लगी है | पार्टी की उन लोगों पर भी खास नजर है जो जनाधार रखने के बाद भी आज रूलिंग पार्टी में रहते हुए भी हाशिए पर हैं ऐसे असंतुष्टओ को पार्टी संतुष्ट करने का प्रयास करेगी | इस मुहिम में सर्व समाज के लोगों को बराबरी की हिस्सेदारी भी दी जाएगी |बसपा अब अपने काडर वोट से ऊपर उठकर अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने की जुगत भी लगा रही है | इसीलिए उसने अपने प्रदेश और राष्ट्रीय संगठन में व्यापक फेरबदल किए हैं | प्रदेश के पंचायत चुनाव से पहले पार्टी ने संगठनात्मक व रणनीतिक बदलाव कर अपनी आक्रामकता प्रदर्शित कर दी है |सांसद मुनकाद अली को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर मुस्लिम समाज को साधने की कोशिश की गई है वहीं राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की जिम्मेदारी अंबेडकर नगर के युवा सांसद रितेश पांडे को सौंपकर संतुलन बनाने के प्रयास से जोड़कर देखा जा रहा है |
मायावती सोशल इंजीनियरिंग की मास्टर मानी जाती है और ब्राह्मण नेता के रूप में सतीश चंद्र मिश्र पार्टी में चाणक्य की भूमिका निभा रहे हैं | नए परिवेश में अक्सर पुराने फार्मूले हिट होते रहे हैं | अगर मायावती का फार्मूला हिट रहा तो प्रदेश की राजनीति में विकास पर जाती एक बार फिर हावी रहेगी |