डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
• रोज़ाना 60 – 70 लोग प्लाज़्मा डोनेट कर सकेंगें , प्लाज़्मा बैंक की स्टोरेज छमता 1200 यूनिट्स की जल्द होगी . प्लाज़्मा थेरेपी के निष्कर्ष बहुत बेहतर और सकारात्मक
प्रदेश में कोरोना का आंकड़ा अब 50 हज़ार के करीब पहुँचने वाला है और रोज़ आने में मरीज़ों की संख्या भी तेज़ी से बढ़ रही है , ऐसे में प्रदेश सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती टेस्ट में पॉजिटिव निकले कोरोना मरीज़ों को जल्द से जल्द उचित इलाज़ मुहैय्या कराना है . देश भर में कोरोना के इलाज़ में प्लाज़्मा थेरेपी काफी हद तक कारगर सिद्ध हो रही है और ऐसे में तमाम डॉक्टर्स का यह मानना है कि प्लाज़्मा थेरेपी का इस्तेमाल कई बार बेहतर और कारगर विकल्प के रूप में किया जा सकता है .
केजेएमयू में बन रहे देश के सबसे बड़े प्लाज़्मा बैंक के बारे में हमने ब्लड ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की विभागध्यक्षा डॉ. तूलिका चंद्रा से बात करी. डॉ तूलिका ने बताया कि प्लाज्मा बैंक की क्षमता दिल्ली और महाराष्ट्र के अस्पतालों से अधिक होगी। अभी विभाग में 1 डीप फ्रीजर है जिसमें 400 यूनिट प्लाज़्मा को स्टोर किया जा सकता है , 2 फ्रीजर और जल्द आने के उम्मीद है जिससे 800 यूनिट प्लाज़्मा और स्टोर किये जा सकेंगें, जिससे स्टोर करने की कुल क्षमता 1200 यूनिट्स की हो जाएगी . यह देश का सबसे बड़ा प्लाज्मा बैंक होगा।
प्लाज़्मा एक्सट्रैक्शन के लिए अभी विभाग में 5 मशीने हैं जिनसे डोनर से प्लाज़्मा लिया जा सकता है , प्लाज़्मा लेने में तकरीबन 1 घंटे क समय लगता है और इस हिसाब से दिन के कार्यकारी समय में 5 मशीनों द्वारा लगभग 60 – 70 यूनिट प्लाज़्मा लिया जा सकता है , इस हिसाब से एक हफ्ते में 500 यूनिट से अधिक का स्टॉक प्लाज़्मा बैंक में तैयार हो जायेगा और ज़रुरत के हिसाब से मरीज़ों को इलाज़ हेतु मुहैय्या कराया जा सकेगा . मशीन के जरिये व्यक्ति का सिर्फ प्लाज्मा ही लिया जाता है। शेष रक्त के अवयव उसके शरीर में वापस चले जाते हैं। ऐसे में डोनर दो हफ्ते बाद दोबारा प्लाज्मा दान कर सकता है।
• कैसे काम करती है प्लाज़्मा थेरेपी