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कोरोना का मेडिकल वेस्ट कर रहा हैं पर्यावरण को प्रदूषित
Aug 14, 2020
शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
पूरी दुनिया इस समय कोरोना संकट में जूझ रही हैं। पर वही दूसरी और कोरोना से बचने के लिए बनाये जा रहे मास्क भी अब दिक्कत बन कर सामने आ रहे हैं। दुनियाभर की सरकार इस कोरोना वायरस से बचने के लिए मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की सावधानी के नियमो को बता रही हैं। प्लास्टिक के इस्तेमाल से मेडिकल वेस्ट भी बढ़ रहा हैं। ये आकड़ा पूरी दुनिया का हैं। इसको इस्तेमाल करने के बाद इसको डिस्पोज किया जा रहा हैं। पर वही दुनियाभाव की सरकारों ने कोरोना की वजह से बनने वाले मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने का निर्णय लिया हैं। की इस साल से 2022 तक देश में 775 टन से ज्यादा मेडिकल वेस्ट निकलेगा। कोरोना वायरस की स्थिति के कारण 550 टन से ज्यादा अधिक मेडिकल वेस्ट निकल रहा हैं। और वेस्ट में मास्क ,पीपीई किट ,फेस शिल्ट ,गाउन या गॉगल्स शामिल हैं। हॉस्पिटल और कोरोना वर्ड से निकलने वाले वेस्ट की ज्यादा चिंता रहती हैं।
ज्यादातौर पर देखा जाए तो हॉस्पिटल में वर्क करने वाले व्यक्ति तो कोरोना वर्ड से निकलने वाला वेस्ट प्लास्टिक को डैजबिन में फेक देते हैं पर वही दूसरी ओर देखा जाए तो आमजनता इसे कैसे डिस्पोज करेगी यह ज्यादा चिंता जनक हैं क्योकि इन्ही सब डिस्पोज चीजों से ही कोरोना संक्रमण का ज्यादातर खतरा होता हैं। और डॉक्टरों का भी कहना हैं की पीपीई किट ,मास्क ,व हाथ के दस्ताने को प्रयोग करके फेक दिया जाए पर इससे संक्रमण का खतरा बना रहता हैं। कुछ रिपोर्ट से खुलासा हुआ की अगर दुनिया भर में एक फीसदी मास्क गलत तरीके से उन्हें जा रहा हैं तो समुद्र में एक करोड़ से भी ज्यादा मास्क तैरते हुए नज़र आएगे।
“एक रिपोर्ट के मुताबिक पता चला की एक प्लास्टिक की बोतल अगर समुद्र में चली जाए तो उसे गलने में ४५० साल लग जाते हैं।”
• स्वास्थ्य संगठन बच्चो के लिए क्या कहता हैं
कोरोना से बच्चन के लिए स्वास्थ्य संगठन का कहना हैं की सभी स्वास्थ्य व्यक्ति को कपडे का बना ही मास्क पहनना चाहिए। और ये मास्क तीन परतो का होना चाहिए। क्योकि शोध कर्ताओ का कहना हैं की अगर कोई भी डॉक्टर पीपीई किट पहनकर किसी कोरोना के मरीज के पास गया तो डॉक्टर की किट के ऊपर चार दिन तक वायरस का असर रहता हैं।