आज़ादी के 69 वर्ष बीत जाने के बाद, 15 अगस्त का दिन एक आम जान के लिए महज़ छुट्टी का दिन रह गया है, हर कोई देश के लिए बातें तो बड़ी-बड़ी करता है, लेकिन जहाँ पर देश भक्ति की बात आती है, वहां हर इंसान किनारा करने की कोशिश करता है , और अगर ये उनसे पूछ दिया जाये, तो यही कहता है की हम तो करना चाहते हैं, पर कोई साथ ही नहीं देता, किसी के पास वक्त ही नहीं है. लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी की सड़कों पर नज़ारा कुछ अलग ही नज़र आ रहा है, 15 अगस्त में अभी 3 दिन बाकी हैं, पर आज़ादी का जश्न पूरे शबाब पर है. जश्न-ए-आज़ादी समिति के अन्तर्गत आज मनकामेश्वर मंदिर से एक विशाल जुलूस निकला, जो पूरा आज़ादी के रंग में रंगा हुआ था.
हर इंसान केसरिया , सफ़ेद और हरे रंग में डूब हुआ था, जगह जगह आज़ादी की जंग की याद दिलाते हुए कार्यक्रम चल रहे थे, और बहुत सालों बाद लगा, कि वाकई देश आज़ाद है, वार्ना आज तो हर कोई गुलाम है, कोई काम का, तो कोई नाम का. देश के नाम पे कुछ है तो बस 5 मिनट का राष्ट्रगान गा लेना, या किसी शहीद की प्रतिमा के सामने खड़े होके, और तिरंगे के आगे से चेहरा निकाल कर सेल्फी लेना, और उसको फेसबुक पर शेयर कर देना और बताना, कि मैं सबसे बड़ा देशभक्त हूँ.
आज अच्छा लगा यह देखकर कि अब आज़ादी का त्यौहार होली , ईद, क्रिसमस या किसी भी अन्य धार्मिक त्यौहार से ऊपर उठकर मनाया जा रहा है, और इसका रंग 15 दिन तक रोज़ लोगों के ऊपर चढ़ा रहेगा.
इस समिति की अध्यक्ष निगहत खान और अन्य सदस्य गढ़ जिसमें मुख्य रूप से सर्वेश अस्थाना, मुरलीधर आहूजा , नानक चंद्र लखमानी और राष्ट्रीय कवि वेदव्रत बाजपाई की इस पहल का पूरे शहर ने दिल खोल के स्वागत किया है, और इसमें शामिल हुए हैं, जैसे जैसे कारवाँ बढ़ रहा था, वैसे वैसे देशभक्त उसमें शामिल होते जा रहे थे, नज़ारा अद्भुत था , काश पूरा देश भी इस रंग में रंगे.