रिपोर्ट शरद द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज़
टेम्पो डाइवर से करोड़पति बनने तक के सफर को तय करने वाले वर्तमान समय मे बाबूपुर कचनारी में तैनात *लेखपाल शाहिद अली को अगर हम करोड़पति लेखपाल कहे तो गलत न होगा। दरअसल शाहिदअली लेखपाल यू ही करोड़पति नही बन गया उसके लिए उसने सारे नियम कायदे ताक पर रख कर हरदोई राजस्व विभाग के उच्च स्तरीय अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी भूमियों पर जम कर अवैध प्लाटिंग कर डाली और करोड़पति बन गया और पूर्व में की गई कई शिकायत राजनीतिक संबधो के कारण ठंडे बस्ते में डाली जाती रही।इतना ही नही उसके इस भ्रष्टाचार में उसकी पत्नी अशिफ़ा बेगम ने भी भरपूर साथ दिया वर्ष 2008 में अपने भ्रष्टाचार के कारण यह लेखपाल निलंबित भी हो चुका था लेकिन बसपा विधायक के चहेते होने के कारण जल्द ही बहाल भी हो गया।
दरअसल वर्ष 2008 में हरदोई देहात में लेखपाल शाहिदअली की तैनाती थी अपने कार्यकाल के दौरान मन्ना पुरवा की कुछ भूमियों को बावन रोड की ग्राम समाज की भूमि में निहित कर दिया व बावन रोड की ग्राम समाज मे निहित भूमि को रामचरण पुत्र दुर्गा के नाम दर्ज करवा दिया तत्पश्चात रामचरण से उस भूमि को अपनी पत्नी अशिफ़ा बेगम के नाम बैनामा करवा दिया व उस भूमि पर प्लाटिंग करके लाखो रुपये पैदा किये। लेकिन जब प्रकरणः की शिकायत हुई और जांच हुई तब लेखपाल शाहिद अली को तत्कालीन जिलाधिकारी मनीष चौहान ने निलंबित किया व अभी गलत आदेशो को निरस्त किया गया व सभी जमीनों को पुनः पुराने स्वरूप में दर्ज करा दिया।मनीष चौहान द्वारा निलंबन के समय लेखपाल की एक रिपोर्ट बसपा सरकार में शासन को भेजी गई थी जो आज भी लंबित है।सबसे बड़ा जो सवाल है वह यह है कि इस पूरे खेल में राजस्व विभाग के कई उच्च स्तरीय अधिकारियों की श्रृंखला फस रही थी उनको बचाने के लिए जमीन को तो असली स्वरूप में दर्ज कर दिया गया लेकिन जो प्लाटिंग सरकारी भूमि पर की गई उस प्लाटिंग को निरस्त नही किया गया वर्तमान समय मे उस सरकारी भूमि पर आलीशान इमारते खड़ी है और न ही लेखपाल शाहिद अली की पत्नी से स पैसे की रिकबरी की गई।अगर शाहिद अली लेखपाल के कार्यकाल के दौरान किये गए आदेशो की जांच कर ली जाए तो पता नही कितने ही उच्च स्तरीय अधिकारियों की जगह जेल में होगी। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक बार फिर प्रकरण की शिकायत शासन को की गई है।