रिपोर्ट शरद द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज़
हरदोई जिला अस्पताल के सीएमएस एस0के0शाक्य पर आए दिन भ्रष्टाचार करने के आरोप लगते रहे है लेकिन आज के प्रकरण से समझा जा सकता है कि सीएमएस एस0के0शाक्य की नसों में भ्रष्टाचार इस कदर बस चुका है कि उन्होंने सारे नियम कायदे ताक पर रखकर लाखो रुपये के राजस्व का नुकसान करते हुए अपनी चहेती फर्म जिस फर्म ने किसी भी शर्त को पूरा नही किया उस फर्म को ध्वस्तीकरण का टेंडर दे दिया।
दरअसल शासनादेश संख्या 06/2019/2866 के अंतर्गत जिला चिकित्सालय हरदोई को उच्चीकृत कर राजकीय मेडिकल कालेज बनाये जाने हेतु निष्प्रयोज्य भवनों के ध्वस्तीकरण की स्वीकृति प्रदान की गई थी तत्पश्चात मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जिला चिकित्सालय हरदोई कार्यालय के पत्रांक संख्या 1026 के माध्यम से 26/08/2020 तक निविदादाता/ठेकेदार जमानत धनराशि 98,100 रुपये जमा कर संबंधित प्रपत्र प्राप्त करने की नीलामी सूचना प्रकाशित की गई थी व सार्वजनिक नीलामी दिनांक 27/08/2020 को तय की गई थी। विभाग द्वारा नीलामी हेतु न्यूनतम मूल्य 9.81 लाख रुपये व अतिरिक्त 18℅ जी0एस0टी0तय की गई।नीलामी की शर्त के अनुसार उच्च बोली दाता को बोली का 25% धनराशि अतिरिक्त जी0 एस0 टी0 सहित तुरन्त व 75%धनराशि तीन दिन के अंदर जमा करने के बाद ही ध्वस्तीकरण की अनुमति प्रदान करने की शर्त विभाग द्वारा तय की गई थी ।विभागीय शर्त के अनुसार अगर किसी कारणवश उच्च बोली दाता शर्तो को पूरा नही करता है तो द्वितीय उच्च बोली दाता की निविदा को स्वीकार करने का प्रावधान था।दिनांक 27/08/2020 को सार्वजनिक नीलामी में सबसे उच्च बोली एक करोड़ दस लाख रुपये, दूसरी उच्च बोली 80 लाख, तीसरी उच्च बोली 75 लाख,चौथी उच्च बोली 70 लाख व पांचवी उच्च बोली 37 लाख रुपये थी।किन्ही कारणवश पहले व दूसरे उच्च बोली दाताओं ने शर्तो को पूरा नही किया अतःनियमानुसार नीलामी की सूचना को पुनः विभाग द्वारा प्रकाशित करवाना चाहिए था।लेकिन सीएमएस एस0 के0 शाक्य ने नीलामी सूचना को दोबारा प्रकाशित करने के बजाए लाखो रुपये का सरकार को राजस्व का नुकसान करते हुए पांचवे उच्च बोली दाता को ध्वस्तीकरण का टेंडर दे दिया।शर्त के अनुसार उच्च बोलीदाता को बोली कि धनराशि को तीन दिन के अंदर जमा करना था।लेकिन संबंधित फर्म ने जिस राशि को तीन दिवस के अंदर मय 18%जी0एस0टी0 सहित जमा करना था उस राशि को अभी तक जमा नही किया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब संबंधित फर्म ने जब बोली का अभी तक पूरा पैसा जमा नही किया तो आखिर सी0 एम0 एस0 ने ध्वस्तीकरण की स्वीकृति कैसे दे दी और प्रथम व द्वितीय उच्च बोलीदाता द्वारा जब शर्तो को पूरा नही किया गया तो आखिर नीलामी की सूचना को दोबारा क्यो नही प्रकाशित कराया गया।इस प्रकरण से समझा जा सकता है कि भाजपा सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर है। सीएमएस एस० के० शाक्य किस कदर भ्रष्टाचार में डूबे हुए है इस प्रकरण से बखूबी समझा जा सकता है सरकार को जो लाखो रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है आखिर उसकी भरपाई कौन करेगा यह बड़ा सवाल है।