रिपोर्ट शरद द्विवेदी
रीडर टाइम्स न्यूज़
नानक गंज ग्रांट वह ग्रामसभा है जो हमेशा विवादों में रहती है। पिछले पांच सालों में ग्रामसभा नानक गंज का भले ही विकास न हुआ हो लेकिन प्रधान पति ने अपना विकास जरूर किया है सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस ग्रामसभा में सबसे ज्यादातर सरकारी भूमि को प्रधानपति विजय राठौर द्वारा बेचा गया है दरअसल सरकारी भूमि के पड़ोस के किसी नम्बर को बैनामा या एग्रीमेंट करा कर उसके बैनामे की आड़ में सरकारी भूमि पर कब्जा करा दिया जाता था सरकारी भूमि पर कब्जाधारी बैनामा धारकों के कुछ मुकदमे तक न्यायालय में विचाराधीन है ।
इस कारण सिर्फ एक पंच वर्षीय में प्रधानपति विजय राठौर ने अपनी आलीशान कोठी खड़ी कर ली।जब कि प्रधान न प्रधानपति के पास और कोई अन्य आय का स्रोत नही है सिर्फ प्रधानी के बाद गाड़ी और बंगला हो जाना सिद्ध करता है कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।अभी पूर्व में इस ग्रामसभा में पट्टेधारकों से पैसे लेकर 78 आवासीय पट्टे अपने उन चहेतों को किये गए थे जो पूरी तरह से अपात्र थे। प्रकरण की जब उच्च स्तरीय शिकायत हुई तत्पश्चात जांच हुई व पट्टे निरस्त किये गए व लेखपाल शशिकांत श्रीवास्तव की स्थाई बेतन बृद्धि रोकी गई व कानून गो भदौरिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने के कारण कार्यवाही से बचा लिया गया।पता नही कितनी सरकारी भूमियों पर इन्ही पांच सालों में इमारत बनवा दी गई।एक योजनाबद्ध तरीके पट्टे की भूमियों पर प्लाटिंग कर दी गई।
प्रधान प्रतिनिधि विजय राठौर के पिता रामभजन पुत्र सुक्खा व चाचा दयाराम पुत्र सुक्खा को गाटा संख्या 826/2 व 826/3 पट्टा हुआ था जिसे वर्ष 2016 में उपजिलाधिकारी न्यायालय ने पट्टा निरस्त कर दिया यह पट्टा जंगलढाक की जमीन पर किया गया था पट्टा निरस्तीकरण के बाद आदेश हुआ कि उक्त जमीन को जंगलढाक के खाते में दर्ज कर दिया जाए।लेकिन अपर आयुक्त न्यायिक लखनऊ मंडल न्यायालय लखनऊ ने 24/06/2016 को आदेश किया कि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है यथास्तिथ बनाई रखी जाए।लेकिन प्रधान पति द्वारा इस लाखो रुपये की जमीन पर अवैध निर्माण करा दिया गया। अगर इस ग्रामसभा की सरकारी भूमियों की सिर्फ नाप करा कर उन्हें सुरक्षित कराने के साथ साथ जांच कर दी जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। चूंकि पंचायत चुनाव का विगुल बज चुका है और एक बार फिर इस प्रधान ने ग्रामसभा के विकास करने के लिए ताल ठोक दी है अब देखना यह है कि जनता को पुनः यह प्रधान मूर्ख बनाने में सफल होता है या जनता किसी और को चुनेगी यह काल के गर्त में है।