Home देश सर्दियों में अधिक पाला पड़ने पर गोमूत्र बन सकता हैं फसल की ढाल
सर्दियों में अधिक पाला पड़ने पर गोमूत्र बन सकता हैं फसल की ढाल
Dec 26, 2020
शिखा गौड़ डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
सर्दियों के दिनों में पाला फसलों को बर्बाद कर देता है, लेकिन अब चिंतित होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, फसल को पाले की मार से बचाने में गोमूत्र भी ढाल की तरह काम कर सकता है। कृषि विज्ञानी भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि पाले से फसलों को बचाने का जैविक पद्धति का यह उपचार सुरक्षित और कारगर है। इसमें पानी में 20 फीसद गोमूत्र मिलाकर फसलों पर छिड़काव करना होता है।
कृषि विशेषज्ञ और पूर्व संचालक (कृषि) बताते हैं कि पाले से आलू, टमाटर, चना और सब्जियों की फसलें सबसे जल्द प्रभावित होती हैं। फसलों को बचाने के लिए कई किसान उन पर पानी में सल्फ्यूरिक एसिड मिलाकर छिड़काव करते हैं। यह प्रक्रिया जोखिम भरी है। एसिड की मात्र अधिक होने पर फसल नष्ट हो सकती है। इसके बजाय 80 लीटर पानी में 20 लीटर गोमूत्र मिलाकर फसल पर छिड़काव कर उसे पाले से बचाया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, गोमूत्र में 32 तरह के तत्व होते हैं। इनमें यूरिया, यूरिक एसिड, नाइट्रोजन, सल्फर, अमोनिया, तांबा, लौह, फास्फेट, सोडियम, पोटैशियम, मैंग्नीज, कैल्शियम, काबरेलिक एसिड आदि प्रमुख हैं। गोमूत्र का छिड़काव पाले से बचाव के लिए पत्तियों पर कवच की तरह काम करता है। कृषि विज्ञान केंद्र सेवनिया, जिला सीहोर के प्रभारी और कृषि विज्ञानी डॉ. जेके कनौजिया बताते हैं कि पाले से फसल को बचाने के लिए पानी का छिड़काव करने की सलाह दी जाती है। पानी में गोमूत्र मिलाकर छिड़काव करना किसानों के लिए सोने पर सुहागा की तरह है। गोमूत्र से फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
दस वर्ष से जैविक पद्धति से खेती कर रहा हूं। गेहूं, चना के अलावा सब्जियों की फसल उगाता हूं। जैविक खाद के इस्तेमाल के अलावा कीट प्रकोप और प्राकृतिक आपदा से फसल को सुरक्षित रखने के लिए गोमूत्र, मठा, नीम आदि से तैयार तरल का इस्तेमाल करता हूं। पाला पड़ने की आशंका होने पर फसल पर गोमूत्र का छिड़काव कर देते हैं। यह प्रयोग अभी तक सफल रहा है।
जैविक खेती भविष्य की खेती है। इसके जरिये कम लागत में बेहतर उपज ली जा सकती है। साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी लगातार बढ़ती रहती है। फसल को पाले से बचाने के लिए गोमूत्र को पानी में मिलाकर छिड़काव करते हैं। यह पत्तियों पर जल संग्रहण की क्षमता बढ़ाता है। इससे पाला पड़ने की स्थिति में पत्तियों पर बर्फ नहीं जम पाती और फसल पाले की मार से सुरक्षित रहती है।