देश में भिखारियों के मामले में ; ‘पश्चिम बंगाल’ सबसे आगे, जानें अपने राज्य का हाल


डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आकड़ो के अनुसार भारत में चार लाख से ज्यादा भिखारी हैं। सरकार द्वारा सभी आकड़ो को सही व व्यवस्थित कर बताया गया हैं की अभी भी भारत में अधिक संख्या में भिखारी हैं। क्योकि देश में अभी भी कही न कही ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हे अभी तक रोजगार प्राप्त नहीं हुआ हैं। गौर किया जाये तो इसमें भी पिछड़े हुए लोग जिनकी जाती बहुत पिछड़ी हुई हैं। इसलिए उन्हें कोई रोजगार नहीं दे रहा हैं। और इन्ही सब कारणवंश लोग अभी भी गरीब व भिखारी हैं क्योकि एक भिखारी के पास अगर छोटा सा भी काम हैं तो ऐसे लोग भिखारी या गरीब नहीं कहलाएगे। और इस टॉप सूचि में पश्चिम बंगाल हैं। साल 2011 की जनगणना के अनुसार देशभर में कुल 4,13,670 भिखारियों की संख्या है, जिसमें 2, 21, 673 पुरुष और 1, 91 ,997 महिला भिखारी हैं। सबसे ज्यादा 81,244 भिखारी पश्चिम बंगाल में हैं। इसमें कम भिखारी के मामले में लक्षद्वीप है, जहां सिर्फ 2 भिखारी हैं। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने राज्यसभा को इस बारे में सूचित किया।

उत्तर प्रदेश में 65 , 835 भिखारी, आंध्र प्रदेश में 30, 218, बिहार में 29 , 723 , मध्य प्रदेश में 28 , 695 , राजस्थान में 25 , 853। दिल्ली में 2 , 187 भिखारी हैं जबकि चंडीगढ़ में केवल 121 भिखारी हैं। संसद में पेश किए गए आंकड़ों के मुताबिक, दादर नगर हवेली में 19 , दमन और दीयू में 22 और अंडमान और निकोबार द्वीप पर सिर्फ 56 बेघर है। देश की राजधानी दिल्ली में 2 हजार 187 भिखारी है। असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में महिला भिखारियों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है। एक प्रश्न के जवाब में गहलोत ने बताया कि इन भिखारियों को उनकी  क्षमतानुसार रोजगार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह के बेघर और बेसहारा भिखारियों की हर संभव मदद करने के लिए प्रयास कर रही है।