बिजली दरें बढ़ाने के प्रस्ताव का जमकर विरोध, दरें 25 % कम करने की मांग ।

 

रीडर टाइम्स डेस्क

* बीते 9 वर्षो में किसानों, ग्रामीण व शहरी उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 84 से 500 प्रतिशत तक वृद्धि हुई ।
*  बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 19537 करोड़ रुपये उल्टा बकाया ।

एक तरफ कोरोना का क़हर पूरे प्रदेश को अपने शिकंजे में कसा हुआ है , तो वहीँ दूसरी ओर बिजली कंपनियां बिजली दरों को बढ़ाने का प्रस्ताव लेकर आयीं है . कंपनियों का कहना है कि उन्हें भरी नुक्सान हो रहा है .प्रदेश में बिजली के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव खारिज हो सकता है।सोमवार को हुई नियामक आयोग की सुनवाई ने कुछ इसी ओर इशारा किया।बिजली उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज का बोझ बढ़ाने के प्रस्ताव का उपभोक्ताओं व उपभोक्ता संगठनों ने जबरदस्त विरोध किया है।

सुनवाई के दौरान राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि रेग्युलेटरी सरचार्ज बढ़ाने का प्रस्ताव नियम विरूद्ध है। इसलिए बिजली कंपनियों के एमडी पर कार्यवाही होनी चाहिए। उन्होंने बढ़ोतरी के बजाय दरों में 25 प्रतिशत की कमी किए जाने की मांग उठाई।

वर्मा ने कहा कि बीते 9 वर्षो में किसानों, ग्रामीण व शहरी उपभोक्ताओं की बिजली दरों में 84 से 500 प्रतिशत तक वृद्धि की गई है। प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत केवल 629 यूनिट है। इसका मुख्य कारण महंगी बिजली ही है। वर्मा ने कहा कि बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का 19537 करोड़ रुपये निकल रहा है। इसके एवज में बिजली दरों में एकमुश्त 25 प्रतिशत या तीन साल तक हर वर्ष आठ-आठ प्रतिशत की कमी की जाए जिससे कोरोना संकट में उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिल सके।

पहले दौर में पश्चिमांचल तथा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व केस्को की सुनवाई हुई। तीनों बिजली कंपनियों के अधिकारियों ने एआरआर का प्रस्तुतीकरण किया जबकि पावर कार्पोरेशन की रेगुलेटरी इकाई ने सभी बिजली कंपनियों के आंकड़ों का संकलित प्रस्तुत किया। दूसरे दौर में 19 मई को मध्यांचल व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की जनसुनवाई होगी। इसके बाद आयोग बिजली दरों का निर्णय करेगा।