भिखारियों को भी काम करना चाहिए, सबकुछ राज्य ही उन्हें नहीं दे सकता: हाई कोर्ट


डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
जहा एक तरफ देश को आर्थिक तंगियों का सामना करना पड़ रहा हैं वही दूसरी ओर देश कि तंगी गरीब व्यक्तियों से भी बढ़ रही हैं और सरकार भी इन्ही सब तंगियों का अंत करने के लिए सभी निरन्तर प्रयास कर रही हैं कुछ एक ओर देखा जाये तो देश में भिखारियों का संगठन भी देश कि अर्थ व्यवस्था को सुधार सकता हैं। लेकिन जब तक सरकार का साथ नहीं होगा तब तक ऐसी व्यवस्था बनी रहेगी। बंबई उच्च न्यायालय ने शनिवार को कहा कि बेघरों और भिखारियों को भी देश के लिए कुछ काम करना चाहिए क्योंकि राज्य ही सबकुछ उन्हें उपलब्ध नहीं करा सकता। शहर में बेघर व्यक्तियों, भिखारियों और गरीबों को तीन वक्त का भोजन, पीने का पानी, आश्रय और स्वच्छ सार्वजनिक शौचालय उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

बीएमसी ने अदालत को सूचित किया कि गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) की मदद से पूरी मुंबई में ऐसे लोगों को भोजन और समाज के इस वर्ग की महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन दिया जा रहा है। अदालत ने बीएमसी की इस दलील को मानते हुए कहा भोजन और सामग्री वितरण के संबंध में आगे निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है।

उच्च न्यायालय ने कहा, ”उन्हें (बेघर व्यक्तियों को) भी देश के लिए कोई काम करना चाहिए। हर कोई काम कर रहा है। सबकुछ राज्य द्वारा ही नहीं दिया जा सकता है। आप (याचिकाकर्ता) सिर्फ समाज के इस वर्ग की आबादी बढ़ा रहे हैं। अदालत ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर याचिका में किए गए सभी अनुरोध को मान लिया जाए तो यह ऐसा होगा मानो ”लोगों को काम नहीं करने का न्योता देना। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि शहर में सार्वजनिक शौचालय हैं और पूरे शहर में इनके इस्तेमाल के लिए मामूली शुल्क लिया जाता है।”

अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को बेघरों को ऐसी सुविधाएं निशुल्क इस्तेमाल की अनुमति पर विचार करने को कहा। अदालत ने यह भी कहा कि याचिका में विस्तार से नहीं बताया गया कि बेघर कौन हैं, शहर में बेघरों की आबादी का भी जिक्र नहीं किया गया है।