लेटिनः अमरीकी देश पेरू के उत्तरी तट पर आर्कियोलॉजिस्ट की एक टीम ने खुदाई के दौरान करीब 140 बच्चे के अवशेष प्राप्त किये हैं। यह मानव इतिहास कि सबसे बड़ा केस बताया जा रहा है, जब इतनी मात्रा में अवशेष पाए गए हैं। आर्कियोलॉजिस्ट रिसर्च टीम का मानना है कि इनकी पसलियां तोड़कर इनके दिल बाहर निकाल लिए गए थे और यह किसी धार्मिक बलि जैसा प्रतीत होता है। रिसर्च टीम को खुदाई के दौरान 200 लामा (एक तरह का जानवर) के अवशेष भी मिले हैं। आर्कियोलॉजिस्ट टीम ने शुक्रवार को कहा कि जिन 140 बच्चों के कंकाल मिले हैं, उनकी उम्र 5 से 14 साल के बीच है। रिसर्च टीम की मानें तो करीब 550 साल पहले बच्चों की बलि दी गई थी।
नेशनल यूनिवर्सिटी त्रुजिलो में आर्कियोलॉजिस्ट प्रोफेसर गैब्रियर प्रियटो बताते हैं कि बच्चों को एक धार्मिक बलि के रूप में त्याग करना पड़ा क्योंकि वे ही अगले भविष्य का प्रतिनिधित्व करते थे। प्रियटो ने कहा कि शोधकर्ताओं ने पैरों के निशान भी पाए हैं जो बारिश और कटाव से बच गए हैं, जो पौराणिक शहर चान चान से करीब 1.5 किमी तक अपनी मौत के लिए पैदल चलकर गए थे। रिपोर्ट के अनुसार, इन अवेशषों को देखकर लगता है कि बच्चों के दिल को निकालने के लिए उनके पेट और पसलियों को काटा गया था। 2011 में भी मिले थे अवशेष , रिपोर्ट के अनुसार, इन अवशेषों में लड़के और लड़कियां दोनों शामिल है। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पुरातत्व और एथ्नोलॉजी के पीबॉडी संग्रहालय के निदेशक जेफरी क्लिटर ने इसे ‘उल्लेखनीय खोज’ के रूप में बताय है। पेरू में 2011 में भी खुदाई के दौरान 76 लामाओं और 42 बच्चों के अवशेष पाए गए थे। नेशनल ज्योग्राफिक के रिसर्चर्स का दावा है कि पेरू के लास लामास में 550 साल पहले एक साथ 200 से ज्यादा लोगों की बलि दी गई थी।पेरू की राजधानी लीमा से 500 किलोमीटर दूर है . इसके पास 35,000 साल पुराना एक मंदिर भी है।
नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी इस जगह पर 2011 से खुदाई का काम कर रही है
अंधविश्वास केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के अन्य देशों में भी प्रचलित है। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला मामला पेरू के त्रु जिला शहर से सामने आया है। पुरातत्वविदों ने पेरू में दुनिया का सबसे बड़ा बलि स्थल मिलने का दावा किया है। राजधानी लीमा से 500 किलोमीटर दूर त्रुजिलो शहर के करीब मिली इसी जगह का नाम लास लामास है। नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी के शोधकर्ताओं को यहां 140 बच्चों के अवशेष मिले। यहां पर कभी चिमू सभ्यता थी। दावा किया जा रहा है कि 550 साल पहले यहां पर एक साथ एक समय में 200 से ज्यादा लोगों की बलि दी गई थी। इनमें बच्चों के साथ युवा भी शामिल थे।
बाढ़ की वजह से दी गई थी बच्चों की बलि
पेरु नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गेब्रियल प्रिटो के मुताबिक, बलि की जगह को चिमू साम्राज्य में ही बनाया गया था। माना जाता है कि अल नीनो की वजह से पेरू के पास स्थित समुद्र में तूफान आया था, जिसकी वजह से त्रुजिलो में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी। इसी से बचाव के लिए लोगों ने भगवान को अपने बच्चों की भेंट चढ़ाई थी। गेब्रियल ने बताया कि बलि स्थल से मिले सभी बच्चों के अवशेष समुद्र की ओर सिर किए हुए थे यानी उन्हें इस तरह से ही दफनाया गया था।
कैसे पता चला कि बच्चों की बलि दी गई है?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्चों की हड्डियों में जख्मों के निशान थे। साथ ही उनकी कई पसलियां भी टूटी पाई गईं, जिससे पता चलता है कि उनके दिलों को निकाल लिया गया था। इसके अलावा उनके अवशेषों पर गाढ़े लाल रंग की परत पाई गई, जिससे ऐसे संकेत मिलते हैं कि उन्हें अनुष्ठान के बाद मारा गया था । इसके अलावा अवशेषों का विश्लेषण करने पर पता चला कि बच्चों का दिल निकालने के लिए उनकी पसलियों और पेट की हड्डियों को काटा गया था।
2011 में शुरू हुई थी खोज
लास लामास में 2011 में पहली बार खुदाई शुरू की गई थी। तब यहां खुदाई के दौरान सिर्फ 42 बच्चों और 76 लामाओं के अवशेष मिले थे। हालांकि, इस हफ्ते खुदाई के बाद कुल 140 बच्चों के अवशेष मिलने का एलान किया गया है। बलि स्थल के पास से मिले कपड़े और रेडियोकार्बन तकनीक से पता चला है कि यह घटना 1400-1450 ईस्वी की है।