Home एजुकेशन आज है विश्व हिंदी दिवस , आइये जानते हैं मनाए जाने का कारण और उद्देश्य ,
आज है विश्व हिंदी दिवस , आइये जानते हैं मनाए जाने का कारण और उद्देश्य ,
Jan 10, 2022
डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
देश भर में हिंदी भाषा ही लोगों को एकता के सूत्र में पिरोती है। यह दुनिया भर में बसे भारतीयों को भावनात्मक रूप से एक साथ जोड़ने का काम भी करती है। इसी अहमियत को ध्यान में रखकर हर साल 10 जनवरी का दिन विश्व हिंदी दिवस, के तौर पर मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य है पूरे विश्व में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अधिक प्रयास करना और इसे अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में विकसित करने के लिए हर स्तर पर कदम उठाया जाना है।
विश्व हिंदी दिवस का इतिहास-
विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को पहले विश्व हिंदी सम्मेलन की वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है जो वर्ष 1975 में नागपुर , महाराष्ट्र में आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम का उद्घाटन तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा किया गया था।
8 देशों में बोली जाती है हिंदी भाषा-
हिंदी भाषा विश्व में अधिकतम जनसंख्या द्वारा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। भारत के अतिरिक्त हिंदी भाषा नेपाल, मॉरीशस, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और फिजी जैसे अन्य देशों में भी बोली जाती है।
कोविड-19 के चलते वर्चुअल प्रोग्राम-
आमतौर पर हर वर्ष 10 जनवरी को देश भर के विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ-साथ स्कूली स्तर पर विश्व हिंदी दिवस के अवसर पर तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें निंबध प्रतियोगिता, चर्चा, वाद-विदाद, आदि शामिल हैं। इसी प्रकार, केंद्र व राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों में भी हिंदी में कामकाज को प्रेरित करने का संकल्प लिया जाता है। हालांकि, पिछले दो वर्षों से COVID-19 महामारी की स्थिति के कारण, लोग अपनी पसंदीदा कविताओं को पढ़कर या गाने गाकर वर्चुअल मोड में विश्व हिंदी दिवस के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
विश्व हिंदी दिवस के संदेश-
राष्ट्रीय भाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है – महात्मा गांधी
हिंदी राष्ट्र की अभिव्यक्ति का सरलतम स्रोत है – सुमित्रानंदन पंत
हिंदी भारतीय संस्कृति की आत्मा है – कमलापति त्रिपाठी
जिस देश को अपनी भाषा और साहित्य पर गर्व नहीं है, वह देश आगे नहीं बढ़ सकता – डॉ राजेंद्र प्रसाद
हिंदी के प्रचार और विकास को कोई नहीं रोक सकता – पंडित गोविंद बल्लभ पंत