जीएसटी काउंसिल की 27वीं बैठक में जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) को सरकारी कंपनी बनाने की मंजूरी दी है। सरकार जीएसटीएन में निजी इकाइयों से 51 प्रतिशत हिस्सेदारी लेगी। इस फैसले को विस्तार से बताते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री और जीएसटी काउंसिल के अध्यक्ष अरुण जेटली ने कहा कि जीएसटीएन में जो निजी कंपनियों के पास 51 फीसद की हिस्सेदारी है सरकार उसे वापस ले लेगी। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकार के पास जीएसटीएन में 50-50 फीसद की बराबर-बराबर हिस्सेदारी होगी। राज्य सरकारों के पास हिस्सेदारी प्रो-रेटा आधार पर होगी जो कि उनके जीएसटी अनुपात में होगी।
इस बैठक में आम आदमी को बड़ा तोहफा दिया गया है. परिषद ने कैशलेस लेन देन करने वाले लोगों को 2 फीसदी छूट देने का फायदा दिया है. इसके जरिये अधिकतम 100 रुपये तक छूट हासिल की जा सकती है| परिषद ने गन्ना किसानों की खातिर भी एक अहम फैसला लेने पर विचार किया, इसके साथ ही जीएसटीएन को सरकारी कंपनी बना दिया गया है |
वित्त सचिव हसमुख अधिया ने बताया कि जीएसटी के लिए सिंगल मंथली रिटर्न का सिस्टम छह माह में प्रभाव में आ जाएगा. इससे पहले जेटली ने वित्त सचिव को जीएसटीएन को सरकारी कंपनी बनाने के प्रस्ताव की व्यावहारिकता जांचने के लिए कहा था | यह कंपनी नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में आईटी सपोर्ट मुहैया कराती है|
जीएसटीएन कंपनी में 5 प्राइवेट संस्थानों की 51% हिस्सेदारी थी, जिसमें एचडीएफसी लिमिटेड, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड, एनएसई स्ट्रेटजिक इनवेस्टमेंट कंपनी और एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड शामिल थीं| यह कंपनी संप्रग सरकार के समय 28 मार्च, 2013 को बनी थी. इसमें शेष 49% हिस्सेदारी केंद्र व राज्यों के पास थी |