भानगढ़ का किला
भानगढ़ का किला भारत तो क्या पूरे विश्व में बहुत लोकप्रिय है. यह किला राजस्थान के अलवर जिले में है और इस किले के सबसे नज़दीक जो गाँव हा उसका नाम गोलाकाबास है. भानगढ़ के किले कर निर्माण 17वी शताब्दी में अकबर के 9 रत्नों में से एक मान सिंह ने अपने पोते माधो सिंह के लिए कराया था , और किले का नाम माधो सिंह ने अपने दादा मान सिंह या कहे भान सिंह के नाम पर किया था .
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आज के समय में भानगढ़ के किले के आस पास बसा गाँव कुछ 1300- 1400 लोगों का गाँव है और यह किला भूतिया भी माना जाता है, हालाकि इसकी कोई अधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है , ऐसा भानगढ़ गाँव के लोगों का कहना है .
चेरापूंजी की खूबसूरत बारिश और पेड़ की जड़ों के पुल
आप सभी ने चेरापूंजी की बारिश के बारे में तो खूब सुना ही होगा, लेकिन पूरे भारत में यह जगह पेड़ की जड़ों से बने खूबसूरत पुलों के लिए भी प्रसिद्ध है.
यह पुल मानव द्वारा निर्मित है और इन पुलों को एक बार इधर से उधर बांधकर और सपोर्ट देकर बना दिया जाता है, और उसके बाद ये पुल समय के साथ और मज़बूत होते जाते हैं. कभी कभी यह पुल 15 साल तक का समय मज़बूत होने में लगा देते हैं , लेकिन इन पुलों की आयु कई सौ साल होती है .
अभी तक का सबसे लम्बा बनाया गया जड़ों का पुल 50 मीटर का है और यह पाईनुर्सला के खासी कसबे के निकट है. यह उन अद्भुत अजूबों में शामिल है जो बहुत कम देखने को मिलती है. तो आप अगर प्रकृति को करीब से महसूस करना चाहते हैं , तो यह आप के लिए है.
डिब्रू साईखोवा नेशनल पार्क
डिब्रू साईखोवा नेशनल पार्क पूरे विश्व के 19 जैविक विविधता के लिए जाने जाने वाले नेशनल पार्कों में से एक है. यह नेशनल पार्क असम के तिनसुकिया जिले में स्थित है और तिनसुकिया शहर से 12 किलोमीटर की दूरी पे स्थित है.
इस नेशनल पार्क का कुल क्षेत्रफल 350 वर्ग किलोमीटर है और यह पार्क वाइल्ड लाइफ पार्क अपनी विविधताओं के लिए जाना जाता है .
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सन 1986 में इसकी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के रूप में इसकी स्थापना हुई थी और फिर सन 1999 में इससे नेशनल पार्क का दर्जा दिया गया . यह नेशनल पार्क घोड़ों, जंगली भैसों , सफ़ेद बतखों ( वाइट विंग वुड डक ), और प्रवासी पक्षियों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है.
प्रकृति के करीब केरला
केरला भारत के राज्य के रूप में स्थापित है और यह भारत के दक्षिण पश्चिमी भाग में आता है . केरला प्रकृति पर्यटन , खूबसूरत पानी ( झील और नदियाँ ) , सुन्दर तटों के लिए प्रसिद्ध है .
केरला की पर्यटन इंडस्ट्री 13.3 % की दर से लगातार बढ़ रही है, और केरला राज्य के राजस्व में पर्यटन का सबसे बड़ा योगदान है, फिर वो भारत से आने वाले सैलानी हो या फिर विदेश से आने वाले .
आंकड़ों के मुताबित सन 2010 में केरला में करीब 10 लाख विदेशी सैलानी आये थे, जो भारत आने वाले सैलानियों का एक बहुत बड़ा हिस्सा है . केरला में आपको प्राकृतिक चिकित्सा की भी महक दिखाई देगी.
बहुत सारे आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान यहाँ काम कर रहे है , जो अपनी पद्दतियों से सैलानियों का ध्यान आकर्षित करते है और अलग अलग विधियों से शरीर की अलग अलग समस्याओं का समाधान करते है.
मेघालय की गुफाएँ
मेघालय की गुफाएँ बहुत ही प्रसिद्ध हैं . हर साल यहाँ आने वाले सैलानियों की तादात बढती ही जा रही है . कई गुफाओं में चूने जल की विभिन्न आकृतियां हैं जिनमें स्टेलैक्टाईट और स्टेलैग्माईट जैसी आकृतियां प्रसिद्ध हैं।
मेघालय में जैन्सिया , खासी पहाड़ और गारो पहाड़ में सबसे ज्यादा गुफाएं है. पूरे भारत में 10 सबसे बड़ी और गहरी गुफाओं में से 9 मेघालय में ही है.
सबसे बड़ी जो गुफा है उसका नाम क्रेम लिअत प्राह है जो की जैन्सिया पहाड़ में है और इसकी लम्बाई 30 . 957 किलामीटर है, जी हैं किलोमीटर. तो हैं न मज़ा ऐसे अद्भुत नज़ारे को देखने में .
सोलंग , एक जन्नत का एहसास
हिमांचल प्रदेश की मनाली घटी में बसे सोलंग की खूबसूरती देखते ही बनती है. यह स्थान हनीमून कपल्स के लिए हमेशा से चर्चा में रहा है. इसके आलावा रोमांचक खेल प्रेमियों , जैसे कि पैराग्लाइडिंग के शौक़ीन , और तमाम विदेशी सैलानियों के लिए यह जगह किसी जन्नत से कम नहीं है.
गर्मी और सर्दी , दोनों ही मौसम में सोलंग की मनमोहक छठा देखते ही बनती है. गर्मियों में जहाँ एक ओर हरी घास की हरयाली दिल को जीत लेती है तो दूसरी तरह बर्फ की सफ़ेद चादर ओढ़े हुए ज़मीन किसी खूबसूरत हसीना की तरह बाहें फैलाये अपनी ओर बुलाती है.
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वैसे भी सर्दियों में बर्फीली ढलानों पे कई तरह के खेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमे स्कीइंग आदि शामिल हैं, तो वहीँ दूसरी तरह गर्मियों के मौसम में पैराग्लाइडिंग खेल के लिए यह घाटी हमेशा खचाखच भरी ही रहती है.
मनाली शहर से सोलंग घाटी की दूरी महज़ 13 किलोमीटर ही है , और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई लगभग 2380 मीटर है .