डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह का अपना महत्व है. जब भी कोई ग्रह अपनी स्थिति में परिवर्तन करता है . तो उसका शुभ या अशुभ प्रभाव किसी भी जातक के जीवन पर देखने को मिलता है. जब भी कोई ग्रह परिवर्तन करता है तो कोई न कोई संकेत अवश्य देता है. ऐसे ही शनि देव भी जब अपनी कुंडली बदलते हैं तो कई तरह के संकेत देते हैं. इन प्रभावों को समय से पहचान कर इनके प्रभावों को कम किया जा सकता है. जानें शनि कुंडली में कैसे संकेत देते हैं. और इसके लिए कौन से उपाय उत्तम हैं.
कुंडली में प्रवेश के बाद शनि देते हैं ये संकेत:
– किसी भी जातक की कुंडली में शनि के अशुभ फल शुरू होते हैं तो व्यक्ति शारीरिक और आर्थिक समस्याओं से गुजरने लगता है.
– कुंडली में शनि दोष होते हैं व्यक्ति के जीवन में काम का बोझ बढ़ने लगता है. और न चाहते हुए भी व्यक्ति को इन कार्यों को करना चाहिए.
– शनि के कुंडली में आते ही अशुभ प्रभाव शुरू हो जाते हैं. इस कारण व्यक्ति को गुस्सा आने लगता है. धर्म से जुड़े कामों को करने से दूर भागता है. साथ ही बुरी आदतों में फंसता चला जाता है.
– व्यक्ति की कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव शुरू होते ही वो किसी न किसी झूठे मामले में फंस जाता है. जिस कारण व्यक्ति के मान-सम्मान में कमी आने लगती है.
– शनि के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति को नौकरी में कई तरहकी अड़चनों का सामना करना पड़ता है. कई बार व्यक्ति की नौकरी तक चली जाती है.
– किसी जानवर के हमले का खतरा बढ़ जाता है. व्यक्ति किसी भी तरह गंभीर रूप से घायल हो सकता है. ये कोई कुत्ता भी हो सकता है.
अशुभ प्रभावों को कम करने के उपाय:
– कुंडली में मौजूद शनि दोष को कम करने के लिए शनिवार के दिन शाम के समय शनिदेव को सरसों का तेल अर्पित करें. साथ ही, सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
– इस दिन लोहे की वस्तुएं, काले वस्त्र, उड़द, सरसों का तेल, जूते-चप्पल आदि का दान विशेष महत्व रखता है.
– इस दिन मछलियों को आटा खिलाने से लाभ होगा. इससे शनिदोष का प्रभाव कम होता है.
– शनिवार के दिन सुबह स्नान के बाद पीपल की जड़ में जल दें. शाम को तिल या फिर सरसों के तेल का दीपक जलाएं. दीपक में थोड़े से काले तिल डाल सकते हैं।