Home मनोरंजन बॉलीवुड यकीनन आप नहीं जानते होंगे : की शुक्रवार के दिन ही क्यों रिलीज होती है फिल्में ,
यकीनन आप नहीं जानते होंगे : की शुक्रवार के दिन ही क्यों रिलीज होती है फिल्में ,
Oct 19, 2022
डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
अकसर इस बात पर गौर किया होगा कि बॉलीवुड की फिल्में सिनेमाघरों में सिर्फ शुक्रवार को ही रिलीज होती हैं. ऐसा नहीं है कि यह सिस्टम पिछले एक या दो दशक में शुरू हुआ है. दरअसल , बॉलीवुड का यह बहुत पुराना रिवाज है, जो कई दशकों से चला आ रहा है. हालांकि, क्या आपने कभी यह सोचा है कि बॉलीवुड की सभी फिल्में आखिर शुक्रवार को ही क्यों रिलीज होती हैं? इसके पीछे ऐसा क्या खास कारण है? अगर नहीं , तो आइये आज हम आपको इसके पीछे की बेहद खास वजह बताते हैं. सबसे पहले यह जान लीजिए कि इसके पीछे का एकमात्र कारण केवल वीकेंड नहीं हैं.
यहां जानें कुछ अहम कारण:
हम में से बहुत से लोग इस बात से तो जरूर वाकिफ होंगे कि बॉलीवुड फिल्मों को शुक्रवार को रिलीज करने का कॉन्सेप्ट हॉलीवुड से आया है . जब हॉलीवुड की फिल्म ‘गॉन विद द विंड’ 15 दिसंबर, 1939 को रिलीज हुई थी.
– हालांकि, फिल्मों को शुक्रवार को रिलीज करने का चलन 1950 के दशक के अंत तक शुरू नहीं हुआ था . लेकिन इस चलन की शुरुआत 5 अगस्त, 1960 को रिलीज हुई फिल्म मुगल-ए-आजम के साथ हुई थी , जो शुक्रवार के दिन ही सिनेमाघरों में लगी थी. इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर, दिलीप कुमार और मधुबाला मुख्य भूमिका में नजर आए थे. इसका मतलब है कि बॉलीवुड ने आखिरकार 1960 के दशक के अंत में हॉलीवुड की इस विरासत को अपना लिया था.
भारत में शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी का दिन माना जाता है. इसलिए, प्रोड्यूसर्स का मानना था कि शुक्रवार को फिल्म रिलीज करने से समृद्धि और धन की प्राप्ति होगी. अधिकांश प्रोड्यूसर एक फिल्म का पहला शॉट मुहूर्त के मुताबिक शुक्रवार को ही शूट करते हैं. क्योंकि भारत में अधिकांश धर्मों द्वारा इस दिन को शुभ माना जाता है.
– निर्माताओं को मल्टीप्लेक्स मालिकों को जो स्क्रीनिंग के लिए पेमेंट करनी होती है, वह सप्ताह के अन्य दिनों की तुलना में शुक्रवार को सबसे कम होती है. साथ ही, पहले के समय में लोगों को साप्ताहिक सैलरी मिलती थी, जो उन्हें शुक्रवार के दिन दी जाती थी. ऐसे में उन लोगों के लिए शुक्रवार एक वेतन-दिवस हुआ करता था, और इस प्रकार यह बाहर घूमने और एक नई फिल्म देखने का सबसे अच्छा मौका होता था.
– मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 50 के दशक की शुरुआत के पहले कलर टेलीविजन नहीं हुआ करते थे, इसलिए मुंबई में लघु उद्योगों में अनौपचारिक मानदंडों के कारण शुक्रवार को आधे दिन के लिए फिल्मों को रणनीतिक रूप से शुक्रवार को रिलीज किया जाता था.