लखनऊ :समाजवादी पार्टी में इन दिनों जो कुछ हुआ वो नहीं होना चाहिए था इस पूरे घटनाक्रम को लेकर जो सन्देश जनता तक पंहुचा उसमे अखिलेश एक बार फिर कमजोर साबित हो गए मुलायम ने बेहद तल्ख़ लहजे में अखिलेश की फटकार लगाईं और मुख्यमंत्री के सभी फैसलों को पलटते हुए पूर्व की स्थिति को बहल करने की भरसक कोशिस भी की लेकिन इसके लिए मुलायम को मुख्यमंत्री के रूप में अपने बेटे को इस तरह तिरुस्कृत नहीं करना चाहिए था
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जिस तरह सूबे के मुखिया को बैकफुट पर खड़ा किया है उससे पब्लिक में बहुत नेगेटिव रिस्पोन्सजा रहा है और पार्टी इसका खामियाजा आने वाले चुनावो में भुगत भी सकती है जानकारों की माने तो मुलायम सिंह यादव ये भूल गए कि अखिलेश उनके बेटे होने के अतिरिक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री भी है ऐसे में उनके द्वारा लिए गए फैसलों का सम्मान करना और करना भी उनकी नैतिक जिम्मेवारी बनती है लेकिन अपनी ही बेबाकियेत की धुन में मुलायम कुछ ऐसा भी बोल गए जिसकी कीमत हो सकता है उन्हें आने वाले समय में चुकानी पड़े
मुलायम के कड़े बोल :
पार्टी के अंदर बढती गुटबाजी को देखकर पार्टी प्रेसिडेंट कुछ इस तरह बिगड़े और कितना कुछ बोल गए
# “अगर अखिलेश मेरा बेटा न होता तो उसे कोई स्वीकार नहीं करता “
# “2014 में अखिलेश की सभी बाते मानी लेकिन कुल 5 ही सीटे जीत पाए जब मै सीएम् था तो एक बार 27 और उससे पहले 39 सीटे जीती थी”
# “इस बार अखिलेश को प्रदेश सपा का अध्यक्ष नहीं बनया जा सकता “
# “अखिलेश गलत फैसले ले सकते है और मेरे पास गलतियों को सुधारने का हक है “
# “अखिलेश और शिवपाल के रिश्ते पहले से ही ठीक नहीं है “
# “2012 में चुनावो से पहले अखिलेश ने सिवा साइकिल चलने के और किया ही क्या है “
ऐसा कहकर पार्टी सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जहाँ एक तरफ अखिलेश की युवा नेतृत्व की छवि को डैमेज किया है वही दूसरी तरफ सूबे के मुख्यमंत्री को फैसला पलटने पर मजबूर करके उनकी निर्णय लेने की छमता को भी संदेह के घेरे में डाल दिया है . लेकिन एक दुसरे पक्ष को देखें तो जानकारों का यह भी कहना है की शिवपाल से हमदर्दी महज़ एक दिखावा है , असल में बाज़ी पलटती देख कर नेताजी ने चरखा दॉव चला है .
परदे के पीछे का सच :-
# शिवपाल का बढ़ा कद लेकिन मज़बूत हुए अखिलेश
पिछले 2 दिनों से मुलायम सिंह यादव बिन पानी की बरसात की तरह अखिलेश पे बरस रहे हैं कि मानो अखिलेश पर भारी सख्ती की जा रही है लेकिन असल में तो अध्यक्षी समेत 13 विभाग मिल जाने के बाद भी शिवपाल पहले की अपेक्षा कमज़ोर ही साबित हो रहे हैं और उनका कद लगातार घटता जा रहा है . उधर अखिलेश को प्रदेशाध्यक्ष के बदले मुलायम ने सभी युवा प्रकोष्ठों के राष्ट्रिय प्रभारी बना दिया है , साथ ही साथ सपा के राज्य संसदीय बोर्ड की अध्यक्षी भी अखिलेश के हाथों में सौंप दी है . अब टिकट बांटने का हक सिर्फ अखिलेश को ही होगा . तमाम सख्ती के बाद भी अखिलेश ने पीडब्लूडी शिवपाल को वापस नहीं लौटाया.