वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हुए दर्दनाक हादसे ने ऐसा जख्म दिया है कि लोग सदियों तक याद रखेंगे। कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन फ्लाईओवर के दो हिस्से मंगलवार शाम गिर पड़े। उ.प्र. के राहत आयुक्त संजय कुमार ने वाराणसी में निर्माणाधीन पुल ढहने से अभी तक 15 लोगों की मौत की पुष्टि की है। इस हादसे के बाद पूरे देश में शोक की लहर है।
हादसे के कुछ घंटे बाद अस्पताल में भ्रष्टाचार में डूबे सिस्टम का वीभत्स चेहरा देखने को मिला, जहां एक सफाई कर्मचारी हादसे में मारे गए लोगों का शव देने के बदले परिजनों से 200 रुपए की मांगता दिखा. मामले में वीडियो वायरल हुआ तो डीएम साहब ने कार्रवाई कर आरोपी को सस्पेंड कर दिया। बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल की मॉर्चरी में तैनात सफाई कर्मचारी ने मृतकों के परिजनों को शव देने के एवज में 200 रुपए की मांग की. जिसके बाद आक्रोशित परिजन भड़क गए.
वहां मौजूद कुछ लोगों ने मोबाइल से इसका वीडियो भी बना लिया. देखते ही देखते वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. उधर, वीडियो के वायरल होते ही जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया. मामले में डीएम योगेश्वर राम मिश्रा ने सफाई कर्मचारी बनारसी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
लेकिन इस हादसे ने एक बार फिर प्रशासनिक लापरवाही और चूक को उजागर कर दिया है. इससे पहले, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुल हादसे पर शोक व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने इस संबंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से फोन पर बात की और घायलों को हरसंभव मदद मुहैया कराने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे में मृत लोगों के परिजनों को पांच लाख जबकि घायलों को दो-दो लाख रुपये की मदद देने का निर्देश दिया है। वहीं निर्माणाधीन फ्लाईओवर के गिरने के कारणों की जांच के लिए मुख्यमंत्री ने तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति के अध्यक्ष कृषि उत्पादन आयुक्त आरपी सिंह होंगे। समिति में जल निगम और सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियंता शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने समिति से 48 घंटे में जांच रिपोर्ट मांगी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने वाराणसी में पुल गिरने के मामले में सेतु निगम के चीफ़ प्रोजेक्ट मैंनेजर एचसी तिवारी, प्रोजेक्ट मैनेजर राजेन्द्र सिंह और के.आर सूडान को सस्पेंड कर दिया है। साथ ही एक अन्य कर्मचारी लालचंद को भी सस्पेंड किया गया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री कार्यालय ने ट्विट कर के दी। इन अधिकारियों पर आरोप हैं कि निर्माण के दौरान उन्होंने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया। सभी अधिकारियों को जल्द ही आरोप पत्र दिये जाएंगे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिला प्रशासन को युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य का निर्देश दिया है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह के अलावा राज्यमंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी को तत्काल मौके पर भेजा है।
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री तथा समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने चौकाघाट फ्लाईओवर हादसे पर दुख जताया है। उन्होंने इस घटना की सूचना मिलते ही ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट में लिखा है कि ‘मैं यहां योगी आदित्यनाथ सरकार सरकार से यह अपेक्षा करता हूं कि वाराणसी के इस हादसे में वह केवल मुआवजा देकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं भागेगी। इस मामले में सरकार से पूरी ईमानदारी से जांच की भी अपेक्षा है। उम्मीद है कि सरकार ईमानदारी से इस हादसे की जांच करवायेगी।’ उन्होंने पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे लोग घटनास्थल पर बचाव दल का हर संभव सहयोग करें।
वाराणसी में पुल के हादसे में लोगों को बचाने के लिए मैं वहाँ के अपने सभी कार्यकर्ताओं से अपील करता हूँ कि वे बचाव दल के साथ पूरा सहयोग करें और सरकार से ये अपेक्षा करता हूँ कि वो केवल मुआवज़ा देकर अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं भागेगी बल्कि पूरी ईमानदारी से जाँच करवायेगी.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 15, 2018
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी घटनास्थल पर देर रात पहुंचे। सीएम ने पहले घटनास्थल पर जाकर चल रहे बचावकार्य का जायजा लिया। इसके बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के ट्रामा सेंटर में भर्ती घायलों से मिलने पहुंच गए।
अभी-अभी आई खबरों के मुताबिक सेतु निगम तथा निर्माणदायी संस्था के खिलाफ 19 फरवरी में ही एफआईआर दर्ज हुई थी। एफआईआर में कंट्रक्शन कंपनी पर फ्लाईओवर बनाने में लापरवाही का आरोप लगाया गया था। लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रशासन ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस एफआईआर के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य भी इसका निरीक्षण करने पहुंचे थे। डिप्टी सीएम ने यहां पर काम की धीमी गति को देखते हुए इसे जल्द से जल्द पूरा करने का निर्देश भी दिया था। अगर इस शिकायत पर सही से कार्यवाही की गई होती तो ये हादसा न होता। शायद जो लोग अपनों से हमेशा -हमेशा के लिए जुदा हो गए वो आज उनके साथ होते । इधर फ्लाईओवर हादसे के बाद सेतु निगम तथा इस फ्लाईओवर का निर्माण कर रही संस्था के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या और हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया है। वाराणसी में फ्लाईओवर निर्माण कर रही संस्था तथा उत्तर प्रदेश सेतु निगम के खिलाफ आज 304, 308, 427 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इन परिवारों को दिया जीवन भर का गम
1 . इस हादसे में जिन परिवारों को गम मिला है उनमें बिहार के छपरा जिले के रहने वाले राम बहादुर सिंह का भी परिवार है। वह बनारस के सिंडिकेट बैंक में कार्यरत थे। निर्माणाधीन पुल गिरने की वजह से पिता-पुत्र की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि पत्नी बुरी तरह घायल हो गई। हादसे के समय रामबहादुर वैभव और अपनी पत्नी को रेलवे स्टेशन छोड़ने जा रहे थे क्योंकि बेटा कोटा में इंजीनियर बनने के लिए तैयारी कर रहा था। उसका इंजीनियर बनने का ख्वाब अधूरा रह गया।
२ . बस्ती जिले के रहने वाले अश्विनी ने कभी यह नहीं सोचा होगा कि जिस कार को वह खरीद रहा है वो इतना दुख देकर जाएगी। जैसे ही कार शोरूम से खरीदकर चंद कदम चले थे कि पुल की बीम उसके ऊपर आ गिरा, जिससे पिता की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, उनके दामाद गंभीर रूप से घायल हो गए।
३ . इस हादसे ने गाजीपुर के सहेड़ी गांव के खुशहाल राम के चिराग बुझा दिए। खुशहाल राम अपने बेटों के साथ वाराणसी आए थे। उन्हें अपने बेटे का इलाज करवाना था, जिसके लिए बोलेरो गाड़ी किराए पर करके लाए थे और उसी के ऊपर बीम गिर गया, जिससे पिता खुशहाल राम और उनके बेटे संजय और शिवबचन की मौत हो गई। इस हादसे के बाद क्षेत्र में सन्नाटा पसर गया और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।