रिपोर्ट – डेस्क रीडर टाइम्स
रक्षाबंधन की परम्परा वैदिक काल से चल रही हैं। वैदिक काल की यह परम्परा थी की राजा महाराजा अपने राज्य की सीमाए बढ़ाने के लिए विजय अभियान चलाकर शत्रुओ पर आक्रमण बोल देते थे और दुश्मनो से राज्य की रक्षा के लिए ही सावन महीने की पूर्णिमा पर रक्षाबंधन मनाने की परम्परा शुरू हुई थी। वैदिक काल में बड़े – बड़े राजा कई दिनों तक पूजा – पाठ क़र रक्षा मंत्र पढ़ते हुए रक्षा के लिए एक पोटली तैयार करते थे जिससे रेशमी कपडे में चावल ,सरसो , सोना , होता था , जोकि ये रक्षा सूत्र राजा अपनी प्रजा की रक्षा के लिए सभी को बांध देते थे। लेकिन धीरे – धीरे इस परम्परा में बदलाव हुआ। बहने अपने भाइयो के हाथ में ये रक्षासूत्र बांधती हैं जिससे इस परम्परा का नाम रक्षाबंधन दिया गया।
रक्षाबंधन का हिन्दू धर्म में सांस्कृतिक महत्त्व –
इस वैदिक काल पुरानी परम्परा का अनूठा महत्त्व हैं इस दिन बहने अपने भाइयो की कलाई पर राखी बांधती हैं जोकि एक दूसरे के प्रति उनके प्यार ,देखभाल और सुरक्षा का प्रतिक हैं। इस राखी बंधन से भाई – बहनो में स्नेह का लगाव भी होता हैं। भाई – बहन की छोटी – मोटी नोक झोक ही रिश्ते को मजबूत रखती हैं। रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर भाई अपनी बहन को उपहार या प्रशंसा के प्रतिक देते हैं।
30 अगस्त को खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ –
हिन्दू पंचाग के अनुसार – ३० अगस्त को सितारों के शुभ सयोग बनने से पुरे दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त रहेगा। जिससे सभी आप प्रॉपटी ,ज्वैलरी ,फर्नीचर , इलेक्टॉनिक , सामान व अन्य चीजे भी खरीद सकते हैं साथ ही किसी भी काम की शुरुआत क़र सकते हैं यह दिन बहुत अच्छा रहेगा।
राखी बांधने के शुभ मुहूर्त –
30 अगस्त और 31 को रक्षाबंधन पर्व मनेगा। दी दिन इसलिए क्योकि पूर्णिमा तिथि 30 का सुबह 11 बजे से अगले सुबह 7.37 तक रहेगी इसी कारण राखी के लिए दो मुहूर्त रहेंगे।