रिपोर्ट – डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
यूपी के बरेली का एक ऐसा मंदिर जिसके लिए एक मुसलमान ने अपनी जमीन दान दी हैरानी की बात यह एक ऐसा मंदिर हैं पर देवी – देवताओं की साथ मुस्लिम व्यक्ति की तस्वीर लगी हैं। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के बरेली का लक्ष्मी नारायण मंदिर जो ज्यादातर चुन्ना मिया मंदिर के नाम से मशहूर हैं। इस मंदिर और उससे जुड़ी कुछ खास परम्परा भी हैं। यह पर अजान और मंदिर की घंटियों की आवाज एक साथ सुनाई देती हैं। और मंदिर के आस – पास हिन्दू श्रद्धालुओं के साथ अच्छी खासी तादात में मुस्लिम भी नजर आते हैं जोकि रोज की दिनचर्या की तरह जालीदार टोपी पहने और बुर्का पहनी महिलाये भी नजर आती हैं। इस मंदिर की सबसे खास बात यह हैं कि हिन्दू देवी -देवताओं के साथ मुस्लिम शख्स कि भी हलाकि ऐसा किसी भी मंदिर में देखने को नहीं मिलता हैं। सूत्रों के मुताबिक इसमें देवी – देवताओं के साथ जिनकी तस्वीर लगी हैं। उनका नाम चुन्ना मिया हैं। बताया गया कि चुन्ना मिया ने मंदिर के लिए वो काम किया हैं जो बड़े – बड़े हिन्दू नहीं कर पाते हैं। इसलिए यह के लोग इनकी बहुत इज्जत भी करते हैं।
चुन्ना मिया के बारे में खास बाते –
1960 कि बात हैं आपको बता दे कि चुन्ना मिया का पूरा नाम फजलुर रहमान था। फजलुर रहमान उस दौर के बरेली के सबसे नामी सेठ हुआ करते थे। और यहाँ के सियासी तौर पर ताकतवर लोगो में से एक थे। और शयद इसलिए उन्होंने मंदिर बनाने के लिए अपनी जमीन के साथ -साथ एक लाख रूपए भी दान दिए थे। जोकि सभी जानते हैं उस ज़माने में एक लाख रूपए बहुत मायने रखते थे। और यह बहुत बड़ी हैं इतना ही नहीं फजलुर रहमान ने मंदिर बनाने में श्रमदान भी किया था। जोकि आज भी मंदिर कि दीवार पर मंदिर बनाने में दान देने वालो में सबसे पहले फजलुर रहमान का नाम हैं।
मंदिर कि व्यवस्था के मैनेजमेंट कमेटी के मुताबिक –
मंदिर में रखी लक्ष्मी -नारायण भगवान कि मूर्ति चुन्नी मिया ने स्वय लेकर आए थे और जब मंदिर का उद्घाटन करने के लिए उन्होंने देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उद्घाटन करने के लिए निमंत्रण भी भेजा था और जिसे राष्ट्रपति ने सम्मानपूर्वक स्वीकार भी किया था। कमेटी के मुताबिक मंदिर में चार पहर आरती होती हैं सुबह ,दोपहर , शाम , और रात हर पहर आरती के साथ भगवान् को भोग भी लगता हैं।
पहले यह पर मुसलमानो कि अच्छी खासी जनसंख्या थी लेकिन बटवारे के बाद 1957 में यह पकिस्तान से हिन्दू – पंजाबी परिवार आकर बसने लगे। रिपोर्ट के मुताबिक – फजलुर रहमान चाहते थे कि यह मंदिर हिन्दू -मुस्लिम एकता कि मिसाल बने। 1960 में मंदिर का उद्घाटन हुआ था। इसके बाद चुन्ना मिया कि देशभर में खूब चर्चा हुई। उस वक्त प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ईरान में थे। चुन्ना मिया नियमित तौर पर मंदिर आते थे। लेकिन निधन के बाद उनके बेटे मुन्ना मिया भी मंदिर जाने लगे।