रिपोर्ट -डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़
- सेम सेक्स मैरिज पर सुप्रीम कोर्ट कानून नहीं बना सकता हैं – भारत के मुख्य न्यायाधीश : डीवाई चंद्रचूड़।
- स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव करना संसद का काम हैं – सुप्रीम कोर्ट।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सेम सेक्स मैरिज को क़ानूनी मान्यता देने को लेकर पांच जजों की सवैधानिक पीठ ने फैसला सुनते हुए कहा की सेम सेक्स मैरिज या समलैगिंक शादी को कानून मान्यता देने से इंकार करता हैं। वही केंद्र सरकार ने इसे भारतीय समाज के खिलाफ बताया था।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 21याचिकाओं में 2018 सुप्रीम कोर्ट की सवैधानिक बैंच ने समलैगिंक को अपराध मानाने वाली आईपीएल की धारा 377 के खिलाफ पार्ट को रद्द कर दिया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि : सरकार को भी समलैगिंकों के अधिकारों कि रक्षा के लिए कदम उठाने के निर्देश सरकार को दिए हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को भी समलैगिंक जोड़े के खिलाफ उनके रिश्ते को लेकर शुरूआती जानकारी करने के बाद FIR दर्ज करनी होगी। उन्होंने ये भी कहा कि समलैगिंक शहरी या अपर क्लास तक सिमित नहीं हैं।
हर व्यक्ति को अपना पार्टनर चुनने का अधिकार – जस्टिस चंद्रचूड़ :
- हर ट्रांसजेंडर महिला को एक पुरुष से शादी करने का अधिकार हैं। तो उसी तरह ट्रांसजेंडर पुरुष को महिला से विवाह करने का पूर्ण अधिकार हैं। हर व्यक्ति का अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार हैं वो अपने लिए स्वय अच्छा – बुरा सोच सकता हैं।
- जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम सभी एक ही कॉम्प्लेक्स सोसायटी के रहने वाले हैं। हम एक दूसरे के प्रति प्यार और सहयोग के रिश्ते में बंधे हैं और यही संबंध हमे मनुष्य बनाता हैं हमे इसे देखना और समझना होगा।
- अगर कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति किसी हेट्रोसेक्ससुअल संबंध में हैं तो उसे ऐसे विवाह को कानून मान्यता देता हैं। ट्रांसमैन व ट्रांसवुमन कि शादी को स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर किया जा सकता हैं।
सुप्रीम कोर्ट का केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश –
- केंद्र सरकार समलैगिंक समाज के लिए एक आधिकारिक कमेटी बनाएं जिसमे समलैगिंक जोड़ो को एक पारिवारिक रूप में शामिल करे इसी के साथ सयुक्त बैंक खातों का नामांकन करे और पेंशन ,ग्रेज्युटी आदि पर विचार विमर्श करे।
- समलैगिंक जोड़ो के लिए लोगो को उनके प्रति अधिक से अधिक जागरूक करे और उनकी सहायता के लिए हेल्पलाइन बनाएं जाए।
- किसी को जबरन सेक्स प्रवृति में बदलाव वाला हारमोन न दिया जाए।
- और किसी बच्चे का सेक्स जेंडर चेंज ऑपरेशन तभी हो जब वह उसके बारे में समझने योग्य हो।
- समलैगिंक जोड़ो को उन्हें उनकी मर्जी के बगैर परिवार के पास लौटने के लिए जबरद्स्ती मजबूर न करे।
- और ऐसे समलैगिंक जोड़ो के खिलाफ तभी FIR दर्ज करे जब पूरी जांच पड़ताड़ हो जाए।
- केंद्र सरकार व राज्य सरकार समलैगिंग जोड़ो के साथ न करे कोई भेदभाव।