रीडर टाइम्स न्यूज़
श्याम जी गुप्ता
शाहाबाद, हरदोई। तहसील क्षेत्र की साधन सहकारी समितियों से लेकर किसान एग्रो सेंटर व मंडी में संचालित किसान सेवा केंद्र पर खाद की किल्लत होने के कारण किसान जिल्लत झेलने को विवश हैं, प्राइवेट दुकानों पर यूरिया और डीएपी सरकारी मूल्य से अधिक दामों पर बेची जा रही है। नवीन गल्ला मंडी गेट के सामने संचालित खाद की दुकानों पर यूरिया 350 तो डीएपी 15 सौ रुपए प्रति बोरी बिक रही है, इस समय गेहूं की बुवाई का सीजन चल रहा है गेहूं की बुवाई में डीएपी की बहुत आवश्यकता पड़ती है, गेहूं की बुवाई को देखते हुए सरकार ने क्षेत्र की साधन सहकारी समितियों में खाद की उपलब्धता पर जोर दिया है। लेकिन साधन सहकारी समितियों के भंडार खाली पड़े हुए हैं। जहां पर किसान खाद लेने जाता है तो जिम्मेदार खाद नहीं दे रहे हैं, और खाद ना होने का रोना रोकर उल्टे सरकार पर ही ठीकरा फोड़ देते हैं। सरकारी संसाधनों से मायूस होकर किसान जब प्राइवेट दुकान पर खाद लेने जाता है तो दुकानदार पहले तो खाद न होने की बात करता है, हालांकि बाद में रेट से अधिक दाम पर खाद देने की बात कहता है। मरता क्या न करता बेचारा अन्नदाता यूरिया खाद की बोरी 266 रुपए वाली 350 में मजबूरन खरीदना है, तो वही डीएपी की बोरी 1350 के बजाय 15 सौ रुपए प्रति बोरी खरीदने का विवश होता है। बताया जा रहा है कि खाद की ब्लैकमेलिंग का धंधा मंडी गेट पर ही नहीं बल्कि कस्बे के अल्लाहपुर तिराहा, मुख्य बाजार, बेझा चौराहा, पिहानी रोड सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी किया जा रहा है। हालांकि सरकार की ओर से यूरिया व डीएपी की ब्लैक मैलिंग या किल्लत होने की बात को नकारा जा रहा है, लेकिन खाद की काला बाजारी रुकने का नाम नहीं ले रही है। वहीं, सुहागपुर गांव के किसान राविंद्र, काला गाढ़ा निवासी दिलावर सिंह, नगला खानपुर निवासी अजय प्रताप सिंह, खुजकीपुर निवासी रामरतन, मझिला के सुक्खू उर्फ सुखविंदर सहित तमाम किसानों ने बताया कि सरकारी संस्थानों पर कहीं भी खाद नहीं मिल रही है। जिससे वह निजी दुकानों से ऊंचे दावों पर खाद लेने को मजबूर है। वहीं, खाद की किल्लत को लेकर एसडीम पूनम भास्कर ने बताया कि खाद की कोई कमी नहीं है। यदि ऐसा है तो आज जांच कर किसानों का अहित नहीं होने दिया जाएगा।