कलिमउल्लाह खान को मैंगो मैन भी कहा जाता हैं – एक ही पेड़ में 300 किस्म के आम

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क

  • यूपी के छोटे से शहर में स्थित यह पेड़ 300से ज़्यादा वैरायटी के आम देता हैं।
  • 84 साल के हाजी कलिम उल्लाह खान को इस अनोखी रचना का श्रेय जाता हैं।
  • साल 2008 में खान साहब को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिमा पाटिल से पद्मश्री सम्मान मिला था।

भारत में आम को फलों का राजा कहा जाता है दिलचस्प बात तो यह है कि हमारे देश में आम की एक से बढ़कर एक किस्म के पाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के नजदीक मलिहाबाद में कलिमउल्लाह खान को मैंगो मैन कहा जाता है कलिमउल्लाह खान ने आम के एक ऐसे पेड़ को तैयार किया है जहां आपको हर शाखा पर अलग-अलग रंग की पत्तियां और आम देखने को मिल जाएंगे। इस पेड़ पर आपको दशहरी, लंगड़ा ,हिमसागर,अलफांसो जैसे आम की वैरायटी मिल जाएगी। मलिहाबाद को उत्तर भारत में आमों के लिए भी जाना जाता है। यह करीब 10 हजार हेक्टेयर में आम की खेती होती है। यहां के आम का इतिहास सैकड़ो साल बताया जाता है।

देश में आमों की सैकड़ो वैरायटी –
भारत में अलग-अलग तरह के आम उगाए जाते हैं जी हां हर एक क्षेत्र में आपको आम की अलग-अलग वैरायटी मिलेगी और हर एक किस्म के आम का आकार टेक्सचर और स्वाद एकदम अलग होता है। जैसे महाराष्ट्र में हापुड़ या अलफांसो आम प्रचलित है। वही उत्तर भारत में दशहरी चौसा , लंगड़ा आदि उगाए जाते हैं गुजरात में केसर आम मशहूर है।

कैसे शुरू हुई आम की खेती –
कलिमउल्लाह खान अपने बेटे के साथ यहां 22 एकड़ की जमीन पर आमो की बागान की देखभाल करते हैं। स्कूली पढ़ाई छोड़ने के बाद उन्होंने आम के बागान में ही काम करने का फैसला किया था। इसके कुछ सालों बाद उन्होंने अपने एक दोस्त के यहां गुलाब के कॉसब्रीड पौधे को देखा एक ही पौधे पर अलग-अलग रंग के गुलाब के फूल देखने के बाद उन्होंने आम के बारे में सोचा था। अब वह एक ही पेड़ में 300 से ज्यादा वैरायटी के आम उगते हैं। और उनके यहां पेड़ 120 साल पुराना है।

देश भर से आमों का सैंपल जुटाया –
करीब 17 साल की उम्र में उन्होंने एक ही पेड़ में साथ वैरायटी की ग्राफ्टिंग की थी लेकिन बाढ़ के बाद यह पेड़ खत्म हो गया। 1988 में उन्होंने एक सौ साल पुराने आम के पेड़ पर ग्राफ्टिंग करनी शुरू की देश भर से उन्होंने सैंपल जुटाया एक कलिमउल्लाह खान अब इस पेड़ को दृढ़ संकल्प कहते हैं। यह वह पेड़ है जिस पर उन्होंने 300 से ज्यादा वैरायटी के आम उगाने का कारनामा किया हैं।

मिल चुका है पद्म पुरस्कार –
कलिमउल्लाह खान को पद्मश्री पुरस्कार भी मिल चुका है इसके अलावा उनका नाम लिमका बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हो चुका है। आमों की ग्राफ्टिंग सीखने के लिए दुबई और ईरान तक जा चुके हैं कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि कलिमउल्लाह खान ने राष्ट्रपति भवन के पास मुगल गार्डन के लिए पेड़ में 54 वैरायटी के आमों की ग्राफ्टिंग की है।