हरतालिका तीज: सोलह शृंगार का धार्मिक महत्व।

डेस्क रीडर टाइम्स न्यूज़

  • हरतालिका तीज सुहागिन महिलाओं के लिए खास है
  • इस व्रत को कुंवारी लड़कियां और सुहागिन महिलाएं रखती हैं
  • इस व्रत को निर्जला करने का विधान है

अपनी सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं हर साल हरतालिका तीज का व्रत रखती है धार्मिक दृष्टि से यह व्रत भद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि पर रखा जाता है। हर तालिका तीज पर इस साल शुक्ल योग के साथ रवि योग हस्त नक्षत्र चिता नक्षत्र का सहयोग बना रहा है। इस व्रत को कुंवारी लड़कियां विवाह में आ रही बाधा को दूर करने के लिए करती है। वही सुहागन महिलाएं विवाहित जीवन में खुशियों के आगमन के लिए महादेव की पूजा और व्रत रखती हैं। पूजा की शुरुआत करने से पहले सुहागिन महिलाएं 16 श्रृंगार करती है। ऐसी मानता है कि हरतालिका तीज की पूजा 16 श्रृंगार के बिना अधूरी मानी जाती है चलिए जानते हैं हर तालिका तीज पर सुहागिन महिलाओं के 16 सिंगर के धार्मिक महत्व के बारे में।

हरतालिका तीज की तिथि और शुभ मुहूर्त
भद्रपद महा के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 5 सितंबर को दोपहर 12:31 पर प्रारंभ होगी इस तिथि का समापन 6 सितंबर को दोपहर 3:21 पर समाप्त होगा।

हरितालिका व्रत की विधि –
हरतालिका तीज के दिन सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प ले या उपवास निर्जला रखा जाता है अगर स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो फलाहार भी कर सकते हैं शुभ मुहूर्त में भगवान शिव पार्वती की संयुक्त उपासना करें इस दिन सुहागिनों को संपूर्ण श्रृंगार करना चाहिए। मां पार्वती को सुहाग का सारा सामान अर्पित करें उनसे अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करे।

मनोकामना के लिए उपाय –
हरतालिका तीज के दिन सुहागन स्त्रियों और बालिकाएं पूर्ण श्रृंगार ही पूजा करके भगवान शिव को पीले वस्त्र और पीले फूल अर्पित करें। माता पार्वती को साड़ी और श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें महिलाएं माता पार्वती को विशेष कर बिछिया जरूर अर्पित करें। माता पार्वती और भगवान शिव से मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।