रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
- सीजेआई के घर पर पूजा पीएम मोदी ने की भव्य आरती
- सीजेआई के घर गणेश पूजा में शामिल होकर पीएम मोदी ने की आरती
- पीएम मोदी और सीजेआई की मुलाकात पर महाभारत
- सीजेआई के घर पर पीएम मोदी गणपति पूजा में शामिल हुए
- गणपति पूजा के लिए सीजेआई के घर पहुंचे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को नई दिल्ली स्थित भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के घर पर गणपति पूजा समारोह में शामिल हुए। पीएम मोदी ने खुद इसकी जानकारी सोशल मीडिया साइट पर दी है। इसी दौरान पीएम नरेंद्र मोदी डीवाई चंद्रचुड़ और उनकी पत्नी के साथ भगवान गणेश की आरती करते हुए पूजा करते नजर आए। सामान्य सी इस बात को लेकर सत्ता की गलियों में कुछ लोगों को मिर्ची लग रही है। लगातार कुछ लोग दोनों के मिलने को भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं।
पीएम मोदी ने शेर की तस्वीरे-
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार चीफ जस्टिस के आवास पर जान जाकर गणपति के दर्शन पूजन की तस्वीर अपने अधिकारी एक हैंडल से शेयर की चंद मिनट में तस्वीरों को हजारों लाइक मिले। तस्वीरों में पीएम मोदी और सीजीआई चंद्रचुड़ के अलावा उनकी पत्नी कल्पना दास पूजा अर्चना करने वाले पुरोहित आचार्य भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री को महाराष्ट्र में पहनी जाने वाली पारंपरिक टोपी वाली वेशभूषा में देखा गया।
हंगामा है क्यों बरपा –
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के घर विरोध सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण ट्वीट करके कहते हैं। कि न्यायाधीश के आचार संहिता का उल्लंघन उस स्थिति को दर्शाता हैं। जिसमें न्यायाधीश ने अपने कार्यकाल की गरिमा के अनुरूप प्राप्त दूरी बनाए रखने में विफलता दिखाई हैं। इसका तात्पर्य है कि न्यायाधीश के किसी भी कार्य या चूक ने उसके उच्च पद की गरिमा और सार्वजनिक मान्यता को प्रभावित किया हैं। भूषण का रिकॉर्ड है कि उनको कभी भी पीएम मोदी का काम अच्छा नहीं लगा। अब चूकि मोदी सीजेआई के घर पहुंच गए। इसलिए सीजेआई भी अब उनके लिए सम्माननीय रहे। मतलब साफ है कि उन्हें विरोध के लिए विरोध करना ही है। प्रशांत भूषण अन्ना आंदोलन में अरविंद केजरीवाल के साथ थे। बाद में अरविंद केजरीवाल ने उनसे छुटकारा पा लिया था।
सीजेआई को कैसे से हटाने की सलाह –
राउत ने सीजेआई चंद्रचूड़ को महाराष्ट्र सरकार से जुड़े केस से हटाने की सलाह दी। राउत ने कहा मुझे ऐसा लगता है कि ऐसे मामलों में अगर जज और पार्टी का कोई संबंध होता है। तो वह खुद के केस से अलग कर लेते हैं। अब मुझे लगता है कि चंद्रचूड़ साहब को खुद को इससे अलग कर लेना चाहिए।
संविधान में ऐसा कहा कहां लिखा है क्या कार्यपालिका और न्यायपालिका के प्रधान नहीं मिल सकते –
दरअसल किसी भी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए इस सेप्रेशन ऑफ़ पावर और कॉरपोरेशन आफ पावर दोनों को नजरिए से देखने की जरूरत है। लोकतंत्र के इन दोनों स्तंभों में इतनी दूरी भी नहीं आनी चाहिए कि दोनों के बीच दीवार बन जाए। भारतीय जनता को सही मायने में न्याय तभी मिल पाएगा जब दोनों मिलकर देश की भलाई के लिए काम करेंगे।
शिवसेना नेता का पलटवार-
हालांकि …शिवसेना मिलिद देवड़ा ने इस पर पलटवार किया उन्होंने कहा कि गणपति आरती के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के आवास पर पीएम मोदी का आना इसे लेकर भी कई टिप्पणियां दुर्भाग्यपूर्ण हैं। शिवसेना नेता ने कहा जब फैसला उनके पक्ष में आते हैं। तो विपक्ष सुप्रीम कोर्ट की विश्वसनीयता की प्रशंसा करता है। जब वह चीजे उनके अनुकूल नहीं होती है। तो वे यह दावा करते हैं कि न्यायपालिका के साथ समझौता हो गया। सुप्रीम कोर्ट पर निराधार आरोप लगाना खतरनाक है। यह न केवल एक गैर जिम्मेदाना हरकत है। बल्कि यह संस्थान की अखंडता के लिए हानिकारक है।