रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
महाराज ने कहा आपको पता है कि देना है तो फौरन दे दो दो ,कुछ दिन भूखे रह जाओ लेकिन दे दो। ये हिसाब – किताब है क्यों लिया जब देने की सामर्य्थ नहीं थी तो...
कुछ दिन पहले वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज से मिलने आए एक व्यक्ति ने उनसे पूछा अगर व्यापार में किसी की देनदारी हो या किसी से अर्थ (पैसे) उधार लिए हो और अभी हमारे वर्तमान की स्थिति कर्ज देने लायक नहीं है तो क्या करें ये सही है।
“जब लिया है तो अब जैसे भी बने मेहनत करो जैसे भी बने आप अपने परिवार को चलते हुए उसका कर्ज निपटाओ नहीं निपटाओगे तो फिर आकर देना पड़ेगा एक-एक हिसाब है।
कर्ज पूरा देना – लेना लेनदेन बराबर करना यहां से इसलिए बहुत सोच समझकर के कर्ज लेना चाहिए क्यों किसी से “कर्ज लो उतना पैर पसारो जितनी लंबी चादर है।
हमारे पास जितनी सुविधाएं हैं हम उसके अनुसार कार्य करते हैं। हम दूसरों के दिखावे की तरफ क्यों बढ़े।
आप कर्ज लेकर मकान बना लिए , कर्ज लेकर गाड़ी ले लिए, व्यापार कर लिए और घाटा लग गया। अब क्या करोगे परेशान हो जाओगे आप। पैदल चलिए साइकिल से चलिए जितनी मर्यादा है उसी हिसाब से चलिए।