रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
गुजरात के सूरत में पुलिस ने फर्जी मेडिकल डिग्री के बड़े फर्जीवाड़े को पकड़ा पुलिस ने इस मामले में फर्जी डिग्री खरीदने वाले 14 नकली डॉक्टर को भी पड़ा है…
गुजरात की सूरत में सक्रिय एक ग्रहण का भंडाफोड़ किया गया उनके पास से करीब 1200 फर्जी डिग्रियों का डेटाबेस मिला गिरोह के आठ लोग आठवीं कक्षा पास करने वालों को भी मेडिकल की डिग्री देते थे। इसके एवज में वह हर व्यक्ति से 70000 रुपए लेते थे। गुजरात पुलिस ने गिरोह से डिग्री खरीदने वाले 14 फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने मुख्य आरोपी डॉक्टर रमेश गुजराती को भी गिरफ्तार किया। आरोपी बोर्ड ऑफ इलेक्ट्रो होम्योपैथिक मेडिसिन गुजरात या बीईएचएम की ओर से जारी की गई डिग्रियां दे रहे थे। पुलिस को उनके पास से सैकड़ो आवेदन पत्र और टिकट मिले हैं।
- सूरत में फर्जी डिग्री कैसे में जोन 4 पुलिस की कार्रवाई
- अलग-अलग इलाके से कुल 14 फर्जी डॉक्टर पकड़े गए
- पुलिस जांच में अन्य फर्जी डॉक्टरों के मिलने की संभावना
- पुलिस ने मुख्य आरोपी डॉक्टर रमेश गुजराती को अरेस्ट किया
गुजरात की सूरत पुलिस ने एक बार फिर से सख्त शिकंजा कसते हुए 14 फरवरी डॉक्टर को गिरफ्तार किया आरोपियों के पास से पुलिस ने फर्जी डिग्री भी बरामद की। सूरत समेत अलग-अलग गिरहो में फर्जी डिग्रियां बनाकर देने वाले डॉक्टर रमेश गुजराती और उसके दो साथियों को भी गिरफ्तार किया है। फर्जी डिग्रियां बेचने वाले डॉक्टर रमेश गुजराती के घर से फर्जी सर्टिफिकेट, डॉक्टर डिग्री, के रिन्यूअल फॉर्म भी पुलिस ने जप्त किए हैं। सूरत पुलिस ने रमेश गुजराती द्वारा तकरीबन 1200 से भी ज्यादा फर्जी डिग्रियां बनाकर बेचने वाले का भंडाफोड़ किया पुलिस ने कुल 14 फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है।
सूरत पुलिस ने 70000 रुपए में फर्जी डिग्री खरीद कर डॉक्टर बने 14 मुन्ना भाई को दबोचा है पुलिस को उम्मीद है कि आगे की जांच में यह संख्या और भी बढ़ सकती है।
पुलिस और राजस्व विभाग की कार्रवाई –
पुलिस के मुताबिक सूचना मिली थी कि फर्जी डॉक्टर डिग्री वाले तीन लोग एलोपैथिक प्रैक्टिस कर रहे हैं। इसके बाद पुलिस और राजस्व विभाग ने अभियान चलाकर उनके क्लीनिक पर छापा मारा पूछताछ करने पर आरोपियों ने बीईएचएम की डिग्रियां दिखाई जांच में पता चला की डिग्रियां फर्जी है क्योंकि गुजरात सरकार ऐसी कोई डिग्री जारी नहीं करती। आरोपी फर्जी वेबसाइट पर डिग्री रिकॉर्ड कर रहे थे।
ऐसे रची गई साजिश –
पुलिस ने बताया कि मुख्य आरोपी को पता चला कि भारत में इलेक्ट्रो होम्योपैथी के बारे में कोई नियम नहीं है इसके बाद उसने इस कोर्स में डिग्री देने के लिए एक बोर्ड बनाने की योजना बनाई उसने पांच लोगों को काम पर रखा और उन्हें इलेक्ट्रो होम्योपैथिक में ट्रेनिंग दी उनमें 3 साल से भी कम समय में कोर्स पूरा कर लिया। इस दौरान उन्हें इलेक्ट्रो होम्योपैथिक दवाई लिखने का प्रशिक्षण दिया गया।
पुलिस के मुताबिक जब फर्जी डॉक्टरों को पता चला कि लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथिक को लेकर संख्या में है तो उन्होंने अपनी योजना बदल दी और लोगों को गुजरात के आयुष मंत्रालय की ओर से जारी की गई डिग्रियां देने लगे उन्होंने दावा किया कि उनके बनाए गए बोर्ड बीईएचएम का राज्य सरकार के साथ समझौता है।
इसके बाद पुलिस ने रमेश गुजराती से पूछताछ की तो उसने बताया कि , उसने 2002 में सूरत की गोपीपुर कांजी मैदान इलाके में गोविंद प्रभाव आरोग्य संकुल ट्रस्ट की स्थापना की थी। इस ट्रस्ट में गोविंद प्रभाव आरोग्य संकुल कॉलेज की स्थापना की थी। उसके बाद उसे अनुभव हुआ कि लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथिक का प्रॉपर 3 साल का कोर्स करने में इंटरेस्ट नहीं लेते। इलेक्ट्रो होम्योपैथिक का अभ्यास और इलाज करने में बहुत मेहनत का काम है। लोग भी इलेक्ट्रो होम्योपैथिक के लिए जागरूक नहीं है जिससे लोग इलेक्ट्रो होम्योपैथिक के पास इलाज करवाने के लिए नहीं आते हैं।
गिरोह की ओर से धमकाया जाता था –
पुलिस ने बताया कि प्रमाण पत्र की वैधता थी और डॉक्टर को एक साल बाद 5000 से ₹15000 देकर उन्हें नवीनीकृत करना पड़ता था पुलिस ने बताया कि जो डॉक्टर नवीनीकरण शुक्ल नहीं दे पाते थे उन्हें गिरोह की ओर से धमकाया जाता था और उपयोग में से दो शोभित और इरफान पैसे के गबन में शामिल थे।
15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए गए –
पुलिस ने कहा कि उन्होंने एक डिग्री के लिए 70000 रुपए के लिए और उन्हें प्रशिक्षण देने की पेशकश की ऐसे लोगों को बताया गया कि इस प्रमाण पत्र के साथ में बिना किसी समस्या के एलोपैथी , होम्योपैथी और आरोग्य की प्रैक्टिस कर सकते हैं। उन्होंने भुगतान करने के 15 दिनों के भीतर प्रमाण पत्र भी जारी कर दिए।
यह मामला एक बार फिर स्वास्थ्य क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है फर्जी डॉक्टरों के कारण मरीजों की जान को खतरा होता है। ऐसे में जरूरी है कि सरकार इस तरह के मामलों पर सख्त कार्रवाई करें और स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता लाए।