रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
लखनऊ में पेंशन पाने वालो के साथ ऑफिस -ऑफिस खेला जा रहा हैं। 10 हजार बुजुर्गो को पेंशन नहीं मिल रही हैं। प्रति माह 1000 की पेंशन के लिए बुजुर्गो को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं…
यह खबर उत्तर प्रदेश के बुजुर्गों से जुड़ी है जिन्हें वृद्धावस्था पेंशन सरकार देती है लखनऊ में 75000 बुजुर्ग पेंशन के लिए रजिस्टर्ड है जहां हर तिमाही में ऑनलाइन ₹3000 दिया जाता है जोकि कुछ समय से 10000 बुजुर्ग समय से पेंशन न मिलने से परेशान है।
यूं तो देश में किसी भी राज्य में जाइये सरकारी विभाग कोई भी हो नागरिको को उन्ही योजनाओ के लिए भटकाए और लटकाए जाते जिनके लिए दावे बड़े -बड़े सरकारी होते हैं। साल भर से आवेदन करने के बावजूद आखिर जनता के कागज कहा अटक जाते हैं। नागरिको के लिए बनी वृद्धापेंशन योजना का उन तक न पहुंचना पीड़ा देता हैं। क्या ये सब रिश्वत के जाल का हिस्सा हैं। कुछ बुजुर्ग नागरिक दफ्तरों में पूछते हैं कि पेंशन के बारे में पूछो तो अधिकारी कहते हैं कि पेंशन वाला कागज गायब हो गया। कुछ लोग दफ्तर अधिकारियों कि वजह से कई माह से पेंशन के लिए दौड़ाए जा रहे हैं। बुढ़ापे कि लाठी होती हैं पेंशन और अगर वृद्धा में ये लाठी ही उनसे छीन जाए तो क्या कहा जाए सरकारी दुर्व्यवस्था , ढीलेपन के चलते सामाज कल्याण विभागों के अंतर्गत आने वाली पेंशन योजना कि तिमाही क़िस्त को लेकर वृद्ध जगह – जगह भटक रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक़ – वही समाज कल्याण अधिकारी सुनीता सिंह तकनीति कारण बताती हैं। समस्या हो सकती लेकिन समाधान तुरंत क्यों नहीं हो सकता ,क्यों किसी बुजुर्ग को दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।