रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
महाकुंभ से एक आश्चर्यजनक वीडियो सामने आए यहां वीडियो 13 वर्षीय राखी का है इस बच्ची ने अपने परिवार को छोड़कर सन्यासिनी का जीवन अपनाने का निर्णय लिया अब इस बच्ची ने अपना नाम सन्यासिनी गौरी गिरी रख लिया उन्होंने खुद को आध्यात्मिक प्रार्थनाओं के लिए समर्पित करते हुए अपने गुरु महंत कुशाल गिरी महाराज के साथ रहना चुना है …
आगरा जिले की प्रतिषेठित व्यवसाय संदीप सिंह की बड़ी बेटी राखी को अखाड़े ने गौरी नाम दिया अखाड़े की परंपरा के अनुसार राखी का पिंडदान 19 जनवरी को किया जाएगा। कर्मकांड के बाद राखी अपने परिवार का हिस्सा नहीं रहेगी और अखाड़े की सदस्य होगी स्प्रिंगफील्ड इंटर कॉलेज की कक्षा 9 की छात्रा राखी की एक छोटी बहन प्राची है। संदीप सिंह 6 जनवरी को अपनी पत्नी रीमा के साथ चूना खाने में राखी का कन्यादान किया था हरियाणा के गुरुग्राम से आए जूना खाने के महंत कुशाल गिरी ने वेद मित्रों के बीच राखी का स्वागत किया इसके बाद संतों ने उसका नाम गौरी रखा।
अब मेरा कोई नहीं –
13 साल की राखी वह नौवीं कक्षा में पढ़ती है वह प्रयागराज में जूना अखाड़े में आकर इस बात पर अड़ गई कि उन्हें साध्वी ही बनना है उन्हें यहां से जाना ही नहीं। अब उनका परिवार नहीं , मां-बाप नहीं ,भाई-बहन नहीं ,वह अब अखाड़े से नहीं जाएगी और साध्वी बनकर ही अपना जीवन गुजरेगी बेटी की जिद के आगे परिवार को झुकना पड़ा। मां – बाप ने जूना अखाड़े को अपनी बेटी राखी सिंह को दान कर दिया। अब राखी का नया नाम दीक्षा लेने के बाद गौरी गिरी महारानी रख दिया गया। 19 जनवरी को गौरी रानी महारानी अपना पिंडदान करेंगे पूर्ण रूप से संयासी बन जाएगी।
जूना अखाड़े से जुड़ा है परिवार –
राखी का परिवार आगरा का रहने वाला हैं उनके माता और पिता पिछले चार सालों से जूना अखाड़े से जुड़े हैं और सेवादार की तरह सेवा करते हैं राखी के मोहल्ले में जब कुछ साल पहले भंडारा हुआ था और भागवत कथा कहने कुशाल गिरी आए थे तभी से यह परिवार जूना अखाड़े की शाखा से जुड़ा था। पिछले 26 सितंबर से यहां परिवार प्रयागराज आया है और अखाड़े में सेवा दे रहा है लेकिन बेटी साध्वी बन जाएगी इसकी उम्मीद ना तो माता को थी और ना पिता को और नहीं अखाड़े के महंत को।
बता दे कि सनातन धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व माना जाता है मान्यता है कि इस दौरान प्रयागराज की त्रिवेणी संगम में शाही स्नान करने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है जहां कुंभ मेला हर 3 साल में लगता है अर्ध कुंभ छह साल में लगता है। तो वही महाकुंभ का शुभ सहयोग 144 वर्षों में एक ही बार बनता है ऐसा माना जा रहा है कि यह शुभ सहयोग 2025 में बन रहा है। जानकारी देते चले कि महाकुंभ में मेले की शुरुआत 13 जनवरी को पूर्णिया से होगी और इसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा प्रयागराज कुंभ मेला में सहाय शाही स्नान होंगे।