महाकुंभ का पहला स्नान 60 लाख श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई … 20 देश से आए भक्त

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
पौष पूर्णिमा की पहली डुबकी के साथ भव्य महाकुंभ का आगाज हो गया है। सुबह से 60 लाख लोग डुबकी लगा चुके हैं। इस महाकुंभ में सभी स्नान पर्वो पर संतों और श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा होगी …

यूपी की संगम नगरी में महाकुंभ मेले का दिव्य और भव्य आगाज हो गया है पौष पूर्णिमा के साथ ही 26 फरवरी तक चलने वाले महाकुंभ की शुरुआत हो गई है। इस बार महाकुंभ में 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने का अनुमान लगाया जा रहा है महाकुंभ के पहले दिन से प्रयागराज में श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ चुकी है हजारों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगा रहे हैं अभी तक 60 लाख श्रद्धालुओं ने संगम तट पर डुबकी लगा लिया यह गंगा यमुना और रहस्य में सरस्वती नदियों का पवित्र संगम है।

144 साल बाद दुर्लभ संयोग में रविवारब की आधी रात संगम पर पौष पूर्णिमा की प्रथम डुबकी के साथ महाकुंभ का शुभारंभ हुआ। विपरीत विचारों , संस्कृतियों , परंपराओं स्वरूपों का गंगा ,यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी के तट पर महामिलन 45 दिन तक चलेगा। इस अमृतमययी महाकुंभ में देश दुनिया में 45 करोड़ श्रद्धालुओं संतो भक्तों अल्पवासियो और अतिथियों की डुबकी लगाने का अनुमान है।

कल्पवासियों ने स्नान कर कल्पवास के नियमों का पालन करने का संकल्प लिया –
पौष पूर्णिमा के अवसर पर कल्पवासियों ने संगम में स्नान किया और महाकुंभ में कल्पवास के कठिन नियमों का पालन करते हुए पूर्ण प्रति मोक्ष मोक्ष प्राप्ति और संपूर्ण विश्व कल्याण की कामना की कल्पवासी अपने और अपने परिवार कल्याण के साथ ही संपूर्ण विश्व के कल्याण की भी कामना करते हैं महाकुंभ के शुभारंभ के साथ ही सोमवार के कारण महादेव की पूजा का विशेष सहयोग बनने से यहां ऋण और भी दुर्लभ हो गया। महाकुंभ मेला क्षेत्र के सभी घाटों पर श्रद्धालु महादेव की पूजा में पवित्र जलधारा में डुबकी लगाकर संकल्प लेते नजर आए। संगम नोज समेत सभी घाट दिन भर हर-हर महादेव , जय श्री राम और जय बजरंगबली के नारों से घूमते रहे। वहीं आम ग्रह से श्रद्धालु भी स्नान को लेकर जबरदस्त उत्साह देखा गया पहले ही दिन प्रयागराज और आसपास के इलाकों के साथ ही बिहार , हरियाणा , बंगाल , उड़ीसा दिल्ली , उत्तराखंड ,पंजाब ,हिमाचल प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,महाराष्ट्र जैसे राज्यों से भारी भीड़ संगम समय तीर्थराज प्रयागराज के विभिन्न घाटों में देखी गई।