रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
सेक्स के दौरान कुछ बातों का ख्याल ना रखा जाए तो कुछ पलो की खुशी लंबे वक्त का गम बन सकती है एसटीडी के आधे मामलों में लक्षण ना के बराबर होते हैं। इसलिए क्योंकि लोगों को खुद नहीं पता होता कि वह संक्रमित है तो वह अपने पार्टनर को भी संक्रमित कर देते हैं एसटीडी की ओर लोगों का ध्यान अक्सर तभी जाता है जब तकलीफ बढ़ जाती है जब वह जलन नहीं होती तब तक लोग इसे नजरअंदाज करते रहते और फिर जब एहसास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ….
भला चंगा नाइट सूट पहनकर बिस्तर में सोने के लिए घुसे कुछ देर में ऐसा क्या हो जाता है कि बाद में लगता हैं की क्यों नाइट सूट प्रेस करने में सारा टाइम फेस्ट किया। होता क्या है। कुसूर हमारा नहीं हैं कुसूर हैं हार्मोन्स का पुरुषो में टेस्टिकल्स और महिलाओं में ओवरसीज यह सेक्स हार्मोस बनाने का काम हम होते हैं। महिलाओ में एस्ट्रोजन और पुरुषो में टेस्टोरोन बनता हैं। ये हार्मोन्स सेक्स डवलमेंट के लिए एहम होते हैं और हमारे शरीर की गाड़ी में कामुकता का पेट्रोल यही भरते हैं वैसे दिमाग भी इसमें अपनी भूमिका निभाता है इसलिए जब आप सेक्सी फोटोस देखते हैं रॉन्ची म्यूजिक सुनते हैं या कोई खास खुशबू सुनते हैं तो आप आरुज हो जाते हैं। ऐसे में दिमाग में डोपामिन नाम का हार्मोन रिलीज होता है। और यही हमें उकसाता आता है कामुकता के दौरान शरीर के कुछ हिस्से बहुत सेंसिटिव हो जाते हैं यह वह हिस्से होते हैं जहां बहुत सारी नर्व एंडिंग्स होते हैं इनमें ब्रेस्ट का नाक होंठ और जननांग शामिल है। कुल मिलाकर हमारा नर्वस सिस्टम भी जिम्मेदार है क्योंकि यह दिमाग से मिले सिग्नल पर फौरन अमल करने लगता है सेक्स की साइंस अभी बाकी है। इस दौरान शरीर में बहुत कुछ हो रहा होता है। सांस भारी हो जाती है दिल की धड़कन बहुत तेज चलती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है धमनियों का आकार बढ़ जाता है और खून बहुत तेजी से जननांगों में मौजूद इरेक्टाइल टिशु के पास पहुंच जाता है इसी वजह से लिंग का आकार बड़ा होता है और क्लीट्रस का भी इसके बाद जो होता है उसके लिए हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड जिम्मेदार है सेक्स के दौरान यह ऑक्सीटोसिन हार्मोन रिलीज करते हैं ऑक्सीटोसिन वैसे तो बहुत कुछ करता है लेकिन सबसे बढ़कर यह जननांगों में मसल कांट्रैक्शंस करता है जिस कारण आर्गनिज्म आता है। और इतने सारे केमिकल लोचे के बाद शरीर बेचारा आखिरकार थक्कर चैन की नींद सो जाता है।
सेक्सुअली ट्रांसमीडेड डिसेसेज –
बिना पेनिट्रेटिव सेक्स के भी फैलता है किसिंग फोरप्ले और ओरल सेक्स के दौरान आप अपने पार्टनर को छूते हैं और क्लैमीडिया और गोनोरिया के बैक्टीरिया बहुत आराम से ट्रांसमिट हो जाते हैं और ये केवल जननांगो में ही नहीं बल्कि गले में भी इंफेक्शन करते हैं। तो चलिए एक गलतफहमी और दूर हुई अब बात करते हैं।
सेक्सुअली ट्रांसमीडेड इंफेक्शन –
कंडोम की एचआईवी जैसे वायरस से बचाने में ऑलमोस्ट 100% इफेक्टिव होते हैं इसीलिए कॉन्डम्स के इस्तेमाल को सेफ सेक्स कहा जाता है। पर कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लेते हैं। एक के ऊपर एक दो कंडोम चढ़ा लेते हैं। तो क्या डबल कंडोम मतलब डबल प्रोटेक्शन। ये लॉजिकल लगता हैं पर हैं नहीं ,क्योकि कॉन्डम बनता हैं लेटेक्स से ये बहुत ही सेंसेटिव मटेरियल होता हैं। तो एक के ऊपर एक कॉन्डम चढाने से फ्रिक्शन बढ़ जाती हैं। और उसके फटने का खतरा बढ़ जाता हैं। यानी की सेफ्टी बढ़ी नहीं घट गई। तो एक बार में एक ही कॉन्डम इस्तेमाल कीजिये। खर्चा भी बचेगा है। एसटीआई की मोर लोगो का ध्यान तभी ही जाता हैं जब डिस्कम्फट बहुत बढ़ जाता है। जब तक वहां जलन नहीं होती तब तक लोग इसे इग्नोर करते रहते हैं और फिर जब एहसास होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।