अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने संन्यास का रास्ता चुन लिया

रीडर टाइम्स न्यूज़ डेस्क
कई चर्चित बॉलीवुड फिल्मों में काम कर चुकी ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई है …

महाकुंभ 2025 में बड़ी संख्या में लोगों ने संन्यास का रास्ता पकड़ा है। कुछ लोग नागा संन्यासी भी बने हैं। इसमें फिल्म अभिनेत्री ममता कुलकर्णी का भी नाम जुड़ गया। ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़े में जाकर संन्यास लिया उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपनाया बहुत सारे लोग कह रहे हैं कि अचानक से वहां महामंडलेश्वर कैसे बन गई क्योंकि महामंडलेश्वर बनने के लिए पहले दीक्षा लेनी पड़ती है और एक लंबी अवधि में तपस्या करके सांसारिक जीवन की प्रवृत्ति मार्ग को छोड़ना पड़ता है। अखाड़े का नियम है कि जो व्यक्ति महामंडलेश्वर बनता है है उसे सन्यासी होना चाहिए।

लोग यह भी कह रहे हैं कि महामंडलेश्वर बनने के लिए सांसारिक मोह माया के लिए त्याग की भावना होनी चाहिए। पारिवारिक संबंधों से दूर होना चाहिए और वेद पुराणों का ज्ञान होना चाहिए। अगर आप ममता कुलकर्णी के जीवन को देखेंगे तो आपको यह पता चलेगा कि कुछ समय पहले तक उनका जीवन विवादों से भरा हुआ था।

ड्रग्स माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी –
आरोप लगता है कि वह वर्ष 2013 में ममता कुलकर्णी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को छोड़कर ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से दुबई में शादी कर ली थी। यह वही ड्रग्स माफिया है जिसने दुबई में ड्रग्स से तस्करी के लिए 12 वर्षों की जेल हुई थी। हालांकि ममता कुलकर्णी इन आरोपों को गलत बताती है। लेकिन सच्चाई यह है कि वर्ष 2016 में मुंबई पुलिस ने ड्रग्स से तस्करी के मामले में उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।

मुंबई पुलिस ने बताया था कि उसने मुंबई से असली 80 लाख रुपए की ड्रग्स बरामद की थी। जिसका संबंध ऐसी कंपनी से था। जिसकी डायरेक्टर ममता कुलकर्णी थी। ममता कुलकर्णी खुद कहती है कि वह ड्रग्स माफिया विक्की गोस्वामी से प्यार करती थी और इस दौरान वह वर्ष 2000 से 2024 तक भारत से दूर रही।

महामंडलेश्वर बनने के लिए किन्नर अखाड़े को क्यों चुना –
किन्नर अखाड़ा सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़े से अलग है यह वह अखाड़ा है जिसमें सन्यासी बनने के बाद भी भौतिक जीवन जिया जा सकता है। और इसमें महामंडलेश्वर बनने के लिए संसारी को पारिवारिक रिश्तों को काम खत्म करना जरूरी नहीं होता और यही कारण है। कि ममता कुलकर्णी से इस अखाड़े को चुना और अब वह बहुत ही जीवन जीते हुए भी संन्यासी बनकर रह सकेंगे। इसमें उन्हें वैराग्य वाला जीवन नहीं बिताना होगा।